थोड़ा थमने के बाद मूर्ती तोड़ों अभियान फिर से शुरू हो चुका है। तमिलनाडु में दूसरी बार महान समाज सुधारक पेरियार की मूर्ती को तोड़ दिया गया है।
इस बार तमिलनाडु के पुडुकोट्टई में स्थित उनकी मूर्ति से गर्दन को अलग कर दिया गया है। इससे पहले तमिलनाडु में वेल्लोर जिले के तिरुपत्तूर में पेरियार की मूर्ती तोड़ी गई थी।
बताया जा रहा है कि दोबारा से ये हिंसा विश्व हिंदू परिषद की रथ यात्रा के कारण शुरू हुआ है। तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके के विरोध के बावजूद विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की राम राज्य रथयात्रा ने मंगलवार को तमिलनाडु में प्रवेश किया। राज्य में रथ यात्रा के प्रवेश करते ही पेरियार की मूर्ती को कुछ लोगों ने तोड़ दिया।
जबकि डीएमके के वर्किंग प्रेजिडेंट एमके स्टालिन ने विधानसभा में पहले ही यह कहते हुए यात्रा का विरोध किया था कि इस रथयात्रा से सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ेगा और शांति को खतरा पहुंचेगा।
पूरे तमिलनाडु में विश्व हिंदू परिषद द्वारा चलाए जा रहे इस रथयात्रा का विरोध हो रहा है। लोगों के विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए तिरुनेल्वेली में 23 मार्च तक के लिए धारा-144 लगा दी गई है। जिले के एसपी डॉ. अरुण शक्तिकुमार ने कहा, ‘हमने धारा-144 के तहत निषेधात्मक आदेश जारी कर दिया है। रथयात्रा को प्रशासन की अनुमति मिली है। ऐसे में यात्रा में व्यवधान पहुंचाने वाले के खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा।’
बता दें कि 13 फरवरी को अयोध्या से चली इस यात्रा का पहला चरण 25 मार्च को कन्याकुमारी में समाप्त होगा। इसके बाद यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर के लिए रवाना होगी।
कौन हैं पेरियार ?
ई वी रामासामी पेरियार बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक प्रमुख तर्कवादी राजनेता थें। उन्होंने जस्टिस पार्टी का गठन किया, जिसका सिद्धान्त रुढ़िवादी हिन्दुत्व का विरोध था। हिन्दी के अनिवार्य शिक्षण का भी उन्होंने घोर विरोध किया। भारतीय तथा विशेषकर दक्षिण भारतीय समाज के शोषित वर्ग को लोगों की स्थिति सुधारने में पेरियार का नाम शीर्षस्थ है। 1973 ई. में उनकी मृत्यु हो गई। जाति भेद के विरोध में उनका संघर्ष उल्लेखनीय रहा।