उत्तर प्रदेश में जैसे ही योगी सरकार बनी दावे किये जाने लगे की अब महिला सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो दस्ता जगह जगह पर तैनात किया जायेगा। जो छेड़खानी करने वालों पर नज़र रखेगा।

मगर सरकार को सत्ता में रहते 11 महीने गुजर गए न तो छेड़खानी खत्म हुई और न ही बलात्कार। यहां तक प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय शहर वाराणसी में भी पिछले 1 साल में महिला से छेड़खानी के 7200 शिकायत दर्ज की गई।

प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय शहर वाराणसी में आलम ये है की हर रोज जनपद में 20 से 25 छेड़खानी के मामले डायल 100 पर दर्ज हो रहे है। जिस प्रदेश में एक दस्ता सिर्फ इस लिए बनाया जाता हो की महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार पुलिस को तैनात कर दे। वहां पर ऐसे आकड़े आने से साफ़ हो जाता है की महिला सुरक्षा का मामला भी एक जुमला था।

शहर हो गाँव कहीं पर महिला सुरक्षा को लेकर सरकार न ही कोई कदम उठा रही है और न ही थाने में बैठी पुलिस महिलाओं की शिकायत दर्ज कर रही है। बहुत कहने सुनने के बाद एसएसपी डीएसपी से गुहार लगाने के बाद अगर मामला दर्ज भी हो जाये तो पुलिस थाने बुलाकर बार बार बयान दर्ज कराती रहती है। समय समय पर आरोप भी लगाये जाते है की अफसरों के कहने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता है।

अखिलेश सरकार में महिला सुरक्षा को कई काम किये डायल 100 से लेकर महिला सुरक्षा हेल्पलाइन नंबर 1090 दिए जिसे एक अच्छी पहल कहा जा सकता है। मगर योगी सरकार आते ही ये सभी पहल शुरू होने से पहले ही दम तोड़ने लगी है।

बड़े बड़े दावे किये जाते है प्रदेश को अपराध मुक्त हो रहा है। इसी के तहत सरकार एक बाद एक एनकाउंटर करवा रही है मगर अपराध का ग्राफ योगी सरकार के सारे दावे की हकीक़त बयान कर रहा है।

अब खुद पीएम मोदी अपने शहर पर कितना ध्यान दे पा रहे है ये तो अगले साल ही पता चल पायेगा क्योकिं प्रधानमंत्री मोदी भी वाराणसी से चुनाव न लड़ने का मन बना रहे है।

मगर अहम सवाल अब भी वही है क्या राज्य की सत्ता में बैठी योगी सरकार महिला सुरक्षा के मामले पूरी तरह से फेल हो चुकी है? क्या सरकार में महिला सुरक्षा उतना बड़ा मुद्दा नहीं है जितना बड़ा मुद्दा किसी और राज्य में जाकर चुनाव प्रचार करना।

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