देश में बढ़ रहे बैंक घोटालों के बीच मोदी सरकार ने बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) में पी. प्रदीप कुमार को नया सदस्य बनाया है। प्रदीप उस कंपनी में काम करते जो 3,250 करोड़ रुपये के वीडियोकोन बैंक घोटाले में संदिग्ध है।

सरकारी बैंकों के कामकाज में सुधार के लिए पूर्व कैग विनोद राय की अध्यक्षता में फरवरी 2016 में बीबीबी का गठन किया गया था। राय सहित बीबीबी के सभी सदस्यों का कार्यकाल 31 मार्च को खत्म हो गया है।

वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को अप्रैल 2012 में 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। ग्रुप ने इस लोन में से 86% यानी 2810 करोड़ रुपये नहीं चुकाए। इसके बाद लोन को 2017 में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) घोषित कर दिया गया।

ये लोन बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर की मदद से लिया गया और बाद में इसे एनपीए घोषित कर दिया गया। आरोप है कि वीडियोकोन के मालिक वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर को इस सब के लिए फायदा पहुँचाया। उन्होंने चंदा कोचर के पति राजीव कोचर की कंपनी को 64 करोड़ का लोन देकर उनको लोन देने वाली कंपनी का मालिक बना दिया।

इसीलिए पहले धूत को आसानी से लोन मिल गया और उसे न चुकाने पर वो लोन एनपीए घोषित हो गया। एनपीए बैंक के ऐसे लोन होते हैं जिनके वापस आने की उम्मीद नहीं होती और उन्हें बट्टे खातों में डाल दिया जाता है। कई बार ये माफ़ भी हो जाते हैं।

प्रदीप कुमार राजीव कोचर की कंपनी अविस्ता एडवाइजरी के सलाहकार बोर्ड में तीन सदस्यों में से एक थे। इनका काम ये तय करना था कि कंपनी की रणनीति क्या होगी। प्रदीप ने केवल एक हफ्ते पहले ही इस कंपनी से इस्तीफा दिया है।

वीडियोकोन बैंक घोटाला सामने आने के बाद ये कंपनी सीबीआई की नज़र में आ गई है। बैंक घोटाले में शामिल होने के शक में सीबीआई कंपनी की जांच कर रही ही।

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