मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने पांच बाबाओं को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया है। इन बाबाओं के नाम हैं नर्मदानंदजी, हरिहरानंदजी, कंप्यूटर बाबाजी, भय्यूजी महाराज और योगेंद्र महंतजी।

इन संतों को राज्यमंत्री बनाने के सरकार के फैसले में कहा गया है कि 31 मार्च को प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों में विशेषतः नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिए विशेष समिति गठित की गई है।

राज्य सरकार ने इस समिति के पांच विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया है। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होगा। नर्मदा सेवा यात्रा में विशेष योगदान के लिए सरकार ने उन्हें यह तोहफा दिया है। ये संत लोगों को नर्मदा संरक्षण को लेकर जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें स्वच्छता का संकल्प भी दिलाएंगे।

हालांकि इन बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के पीछे बड़ा खेल है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये बाबा लोग मिलकर शिवराज सरकार की पोल खोलने वाले थे इसलिए इन्हे राज्यमंत्री का दर्जा देकर शांत कराया गया है।

दरअसल, मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। पॉलिटिकल पंडितों का कहना है कि इसबार का चुनाव शिवराज सिंह चौहन के लिए आसान नहीं होगा। 2005 में अबतक शिवराज सिंह ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

लेकिन इसबार जनता नाराज है और शिवराज सिंह डैमेज कंट्रोल में लगे हुए हैं। पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देना भी इसी डैमेज कंट्रोल का हिस्सा है।

सबसे ज्यादा चर्चा कंप्यूटर बाबा की हो रही है। इसका कारण है कंप्यूटर बाबा का Undo (CTRL+Z) हो जाना यानी अपनी बात से पलट जाना। दरअसल कंप्यूटर बाबा सरकार के खिलाफ ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने वाले थे, लेकिन सरकार के राज्यमंत्री बनाते ही उनके सुर बदल गए हैं।

इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि शिवराज सरकार का ये एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में पूरी तरह से असंवैधानिक है। उन्होंने ट्वीट किया है कि ‘हमने भाजपा नेताओं को धार्मिक बाबाओं को संरक्षण देते और पैर छूते हुए देखा है। आसाराम और राम रहीम जैसे बलात्कारियों को भी। लेकिन शिवराज सिंह ने तो पांच धार्मिक बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा ही दे दिया। ये एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में पूरी तरह से असंवैधानिक है।’

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