8 जनवरी को एक तरफ चुनाव आयोग पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की घोषणा कर रहा था। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग के दो अधिकारियों के वीआरएस लेकर भाजपा के साथ राजनीतिक सफर शुरू करने की मुनादी हो रही थी।

ये अधिकारी हैं, यूपी के कानपुर में कार्यरत पुलिस कमिश्नर असीम अरूण और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह। असीम अरूण भाजपा की टिकट पर कन्नौज से चुनाव लड़ सकते हैं। राजेश्वर सिंह भी भाजपा की टिकट पर साहिबाबाद से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि अभी तक राजेश्विर सिंह ने बीजेपी में शामिल होने को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

राजेश्वर सिंह के वीआरएस और भाजपा में शामिल होने की अटकलों को उनके पुराने रिकॉर्ड से जोड़कर देखे तो समझ आता है कि राजेश्ववर सिंह ने अपने पूरे करियर में भाजपा के सिपाही की तरफ काम किया है। राजेश्वसर सिंह ने कई ऐसे काम किए जिससे भाजपा को बड़ी उछाल मिली।

राजेश्वर सिंह 2जी स्पेक्ट्रम, कोयला, कॉमनवेल्थ गेम्स, अगस्ता वेस्टलैंड जैसे कथित घोटालों की जांच में शामिल रहे है। याद कीजिए ये वही कथित घोटाले हैं जो आज तक कोर्ट में साबित नहीं पाए। लेकिन इन कथित घोटालों की जांच के दौरन उड़ी अफवाहों ने कांग्रेस की छवि भ्रष्ट पार्टी की बना दी, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला।

साल 2017 में 1 लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए के कथित 2जी घोटाले में पटियाला कोर्ट ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट में ये साबित हुआ था कि 2जी घोटाला कभी हुआ ही नहीं। लेकिन इसी 2जी घोटाले का प्रचार कर साल 2014 में भाजपा सत्ता में आ गयी।

इसके साथ ही अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर डील में हुई अनियमितता के मामले में जिसमें तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कीर्ति चिदम्बरम का नाम शामिल होने का मामला आया था। उसमें भी राजेश्वर सिंह द्वारा कार्यवाही की गयी थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला, मधु कोड़ा और जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ चल रही जांच का भी राजेश्वर सिंह शामिल रहे हैं।

हालांकि एक वक्त ऐसा भी था जब राजेश्वर सिंह के खिलाफ अलग-अलग मंत्रालयों और सरकारी निकायों के समक्ष लगभग 50 एक जैसी शिकायतें दर्ज हुई थी। इसके अलावा राजेश्वर सिंह पर आय से अधिक संपत्ति के मामले के भी आरोप लग चुके हैं।

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