योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाले एक साल से ज्यादा हो चुका है। इस एक साल में योगी सरकार ने जो काम किया है उसका जवाब जनता ने फूलपुर-गोरखपुर उपचुनाव में दे दिया है। फूलपुर-गोरखपुर उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा।

लेकिन इस हार से भी योगी सरकार की नींद नहीं खुली है। ये सरकार अभी भी विकास की जगह अपनी भगवा राजनीति को चमकाने पर जोड़ दे रही है। योगी सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था की जगह स्थानों और महापुरूषों के नाम बदलने का काम कर रही है।

ताजा विवाद संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम बदलने को लेकर है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यपाल राम नाइक ने योगी सरकार को सलाह दी है कि भीमराव अंबेडकर के नाम के साथ अब उनके पिता ‘रामजी मालोजी सकपाल’ का नाम भी जोड़ा जाए।

अब उत्तर प्रदेश में अंबेडकर का नाम ‘डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर’ होगा। सरकार ने रिकॉर्ड्स में सभी जरूरी बदलावों के निर्दश भी दे दिए हैं, जिसके बाद आधिकारिक रूप से नाम बदलकर डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर हो जाएगा।

अब सवाल उठता है कि भीमराव अंबेडकर के नाम में ‘रामजी’ से जोड़ने से उत्तर प्रदेश की जनता को क्या फायदा होगा? क्या अंबेडकर के नाम में बदलाव कर देने से बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाएगी? क्या अंबेडकर का नाम बदल देने से मासूम बच्चों की मौते रूक जाएंगी?

क्या महिलाएं सुरक्षित हो जाएंगी? क्या बलात्कार बंद हो जाएगा? फर्जी एनकाउंटर रूक जाएगा? स्कूलों की हालात सही हो जाएंगे? शिक्षकों को परमानेंट नौकरी मिल जाएगी?

किसानों की आत्महत्या रूक जाएगी? किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलने लगेगा? युवाओं को रोजगार मिल जाएगा? विश्वविद्यालय में सीटे बढ़ जाएंगी? विश्वविद्यालय का निजीकरण रूक जाएगा?

अगर भीमराव अंबेडकर का नाम बदलकर भीमराव रामजी अंबेडकर कर देने से ये सारी समस्याएं हल हो जाएंगी तो जल्द से जल्द अंबेडकर का नाम बदल देना चाहिए। अगर नाम बदलने से ही समस्याओं का हल होना है तो देश के सभी महापुरूषों के तुरंत नाम बदल देनी चाहिए!

सच्चाई तो ये है कि योगी सरकार जनता को गुमराह करने के लिए नाम बदलने वाला नाटक कर रही है। क्या सरकार के पास करने को कुछ है ही नहीं जो नाम ठीक करने में लगी हुई है?

योगी सरकार के इस फैसले पर बीजेपी सांसद उदित राज ने ने आपत्ति दर्ज करायी है। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम के मध्य में रामजी लिखे जाने से अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है। इससे दलित भी नाराज हैं।

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