सीबीआई विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को मामले की जांच दो हफ्ते में पूरी करने का आदेश दिया है। यह जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक की अगुआई में होगी। केस की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने केन्द्र की मोदी सरकार को झटका देते हुए उसके द्वारा नियुक्त अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को सीबीआई में कोई भी बड़ा या नीतिगत फैसला करने पर रोक लगा दी है।
कोर्ट के आदेश के बाद नागेश्वर राव महज रूटीन काम करेंगे। किसी तरह का नीतिगत फैसला, किसी केस को खोलने अथवा बंद करने, किसी बड़े अफसर का तबादला करने जैसे काम उनकी कार्य परिधि से बाहर रहेंगे।
सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी पर कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला जाते ही सच सामने आ गया है।
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मोदी सरकार की प्यादे के ज़रिए सीबीआई को हथियाने की कोशिश नाकाम रही। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी उन अत्याचारियों के मुंह पर तमाचा है जो सीबीआई की स्वयत्ता को खत्म करना चाहते हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सीवीसी मोदी सरकार के इशारों पर काम नहीं कर सकेगा। सुप्रीम कोर्ट के जज एके पटनायक की निगरानी में पूरे मामले की जांच की जाएगी।
Truth prevails in Supreme Court.
Modi Govt’s sinister attempt to capture CBI through lackeys falls flat.
A slap in face of tyrants who wanted to pin the last nail in CBI’s independence.
CVC can’t act as Modi Govt’s pawn but would be supervised by a SC judge to act fairly.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 26, 2018
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार सीबीआई विवाद के बाद सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ वर्मा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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वर्मा ने अपनी याचिका में केंद्र की ओर से उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने तथा अंतरिम प्रभार 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के ओडिशा कैडर के अधिकारी तथा एजेंसी के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सौंपे जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है।