सीबीआई के बाद अब आरबीआई से मोदी सरकार की ठनी हुई है। सरकार और रिज़र्व बैंक के गवर्नर के बीच नीतिगत मुद्दों को लेकर मतभेद की खबरें अब आ रही हैं। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बताया है कि  सरकार का दखल बढ़ता जा रहा है जोकि ठीक नहीं है।

इस मतभेद का असर उर्जित पटेल के बाकी कार्यकाल पर खतरा मंडरा रहा है।

दरअसल ब्याज दरों में कटौती न होने पर सरकार आरबीआई से नाराज़ चल रही है।

नीरव मोदी के कारण भी बैंक और सरकार के बीच तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। ऐसा कहा जा रहा है कि करीब आधे दर्जन से अधिक मुद्दों पर बैंक और सरकार के बीच भारी मतभेद चल रहे हैं।

आरबीआई गवर्नर चाहते हैं कि सरकारी बैंकों पर नज़र रखने के लिए आरबीआई को और शक्तिशाली बनाना चाहिए।

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि सरकार आरबीआई के काम में दखल दे रही है जिससे बैंकों की स्वायत्तता पर असर पड़ रहा है।

विरल की मानें तो आबीआई सरकार से थोड़ी दूरी बनाना चाहती है। सरकार बैंक के कामों में हस्तक्षेप कर रही है जोकि ठीक नहीं है।

साथ ही विरल ने ये भी कहा कि सरकारों की तरफ से लोन को माफ़ करना काफी ख़तरनाक है। इससे बैंकों को लम्बे वक़्त तक काफी नुकसान होगा ।

अगर सरकारें लोन माफ़ करती रहीं तो फिर ऐसे हालत में बैंकों के लिए काम करना मुश्किल होगा।

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