मोदी सरकार की नोटबंदी पूरी तरह से नाकामयाब हो चुकी है। ये बात रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) के आकड़े कह रहे हैं। आरबीआई के जिन आकड़ों का इन्तेज़ार था वो अब आ चुके हैं। और इन्होने मोदी सरकार के दावों का खेल बिगाड़ कर रख दिया है।

आरबीआई ने नोटबंदी के बाद बैंकों में वापस आए नोटों की गिनती पूरी कर ली है। केंद्रीय बैंक ने बताया है कि नोटबंदी के दौरान 15.44 लाख करोड़ रुपए के नोटों पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। और इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपए बैंकों में वापस आ चुके हैं।

मतलब केवल 13000 करोड़ रुपए ही बैंकों में वापस नहीं आ सके। यानि की प्रतिबन्ध किए गए नोटों के 1 प्रतिशत से भी कम। नोटबंदी के दौरान बंद किये गए 500 और 1000 रुपये के 99.3% नोट वापस आ गए हैं। आरबीआई ने ये जानकारी बुधवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में दी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 8 नवम्बर 2016 को 500 और 1000 रुपिए के नोटों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। ये तत्काल मुद्रा का 86% था। सरकार ने 24 नवम्बर 2016 को सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में ये दावा किया था कि उसके इस कदम से देश में कालेधन का सफाया हो जाएगा।

सरकार का दावा था कि प्रतिबन्ध की गई मुद्रा का लगभग 13 से 14% कालाधन है और ये बैंकों में वापस नहीं आएगा जबकि अर्थशास्त्रियों ने इसे 6% के करीब बताया था। लेकिन मोदी सरकार के दावे के विपरीत 99% से ज़्यादा प्रतिबन्ध पैसा वापस बैंकों में आ गया है।

अब सवाल ये है कि क्यों सिर्फ इतनी छोटी रकम के लये देशभर में लोगों को लाइनों में लगा दिया गया। क्यों 1 प्रतिशत से भी कम रकम के लिए लाखों करोड़ के कारोबार का नुकसान किया गया। लाखों लोगों को बेरोजगार किया गया? किसानों को बर्बाद किया गया?

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