देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष यानी 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसे लोकसभा चुनाव 2024 के सेमीफाइनल के तौर पर भी लिया जा सकता है।

इस समय उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है। जाहिर है कि इसी सरकार के परफॉर्मेंस के आधार पर यूपी के आगामी चुनावों के मुद्दे तय होंगे।

एक रिपोर्ट सामने आई है कि योगी आदित्यनाथ के बतौर सीएम उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद से राज्य की अर्थव्यवस्था गड्ढे में ही गई है।

योगी सरकार के दौरान जहां प्रदेश की जीडीपी में गिरावट आई है तो वहीं बेरोजगारी दर में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ समय में अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खस्ताहाल हुई है।

तुलनात्मक रूप से प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों और योगी सरकार के कार्यकाल की बात की जाए तो वर्ष 2011 से लेकर वर्ष 2017 के बीच जहां उत्तर प्रदेश की जीडीपी 6.9% की गति से आगे बढ़ रही थी तो वहीं 2017 से 2020 के बीच यह गिरते गिरते 5.6% पर आ गई।

वहीं बात करें सोशल सेक्टर की तो सोशल सेक्टर पर भी होने वाले खर्च में गिरावट हुई और इन वर्षों में जितना भी पैसा इस सेक्टर में खर्च होना चाहिए था, उसमें 2.6% की कटौती सरकार की ओर से कर दी गई।

बेरोजगारी की बात करें तो इस दौरान प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आई है। न सिर्फ शहरों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी बेरोजगारी दर में जबर्दस्त इज़ाफ़ा हुआ है।

आंकड़ों की नज़र से देखें तो वर्ष 2011 से 12 के बीच जहां शहरी इलाकों में 1000 में 41 लोग बेरोजगार थें, वहां 2017-18 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 97 तक पहुंचा, इसके बाद और छलांग लगाते हुए 2018-19 में यह 106 तक पहुंच गया।

वहीं ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर को देखें तो वर्ष 2011-12 में यूपी के गांवों में जहां 1000 में 09 लोग बेरोजगार थें, वो 2017-18 में 55 तक पहुंच गया। फिर इसमें थोड़ा सुधार देखने को मिला लेकिन 2018-19 में यह आंकड़ा 43 पर था।

मालूम हो कि फरवरी 2020 में यूपी विधानसभा में राज्य के श्रम मंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि राज्य में कुल 33.94 लाख लोग बेरोजगार हैं

जबकि 30 जून 2018 तक यह आंकड़ा 21.39 लाख था यानी कि राज्य में बेरोजगारों की संख्या जून 2018 से लेकर 2020 के बीच 58.43% तक बढ़ गई।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के यह आंकड़े जहां विपक्ष को बैठे बिठाए एक नया मुद्दा दे चुके हैं तो वहीं सरकार के लिए यह आंकड़ा मुश्किलों भरा है।

जाहिर है कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरेगा और सरकार के लिए जवाब देना मुश्किल होगा।

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