सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने रिज़र्व बैंक ऑफ (RBI) के सरकार को सरप्लस के पैसे देने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिस काम के लिए सरकार ने उन्हें नियुक्त किया था, उसे उन्होंने अंजाम दे दिया।
प्रशांत भूषण ने ट्विटर के ज़रिए कहा, “रघुराम राजन और उर्जित पटेल द्वारा आरबीआई के रिज़र्व को सरकार को ट्रांसफर करने से इंकार करने के बाद, सरकार ने आखिरकार शक्तिकांत दास (जो कि इतिहास में MA हैं) को गवर्नर नियुक्त किया और सरकार के प्रस्ताव को मंज़ूरी मिल गई”।
After Raghuram Rajan & Urjit Patel refused to transfer RBI's reserves to the govt, the govt finally appointed Shaktikant Das (an MA in history) as Governor & got him to do the deed https://t.co/QBneJjM4AH
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 27, 2019
दरअसल, RBI ने केंद्र सरकार को 1 लाख 76 हज़ार करोड़ से ज्यादा का सरप्लस ट्रांसफर करने का फैसला लिया। ये फैसला सोमवार को RBI की बोर्ड मीटिंग में लिया गया। आरबीआई ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्रीय बोर्ड की बैठक में स्वीकार किए गए रिवाइज्ड इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के मुताबिक सरप्लस ट्रांसफर में साल 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये सरप्लस और 52,637 करोड़ अतिरिक्त प्रावधानों से आया पैसा शामिल है।
आरबीआई बोर्ड ने ये फैसला RBI के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति की उस रिपोर्ट पर किया जिसमें सरकार को केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि और इसके लाभांश का हस्तांतरण करने के संबंध में सिफारिश की गई है।
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बता दें कि इससे पहले इसी प्रस्ताव को लेकर मोदी सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच मतभेद हो चुके हैं। उस वक्त उर्जित पटेल ने सरकार के प्रस्ताव पर असहमति जताई थी। कथित तौर पर इन्हीं मतभेदों के चलते रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि उर्जित पटेल ने इस बात से इनकार कर दिया था कि उन्होंने इस मतभेद के चलते इस्तीफा दिया। उर्जित पटेल दिसंबर 2018 में गतिरोध के बाद रिजर्व बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क के रिव्यू के लिए RBI और सरकार कमेटी गठित करने पर राज़ी हुए थे।