राफेल डील पर हर दिन नए खुलासे हो रहें है। अब अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस ने कन्फर्म किया है कि उसने फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की महिला मित्र जूलिए गायेट की फ्रेंच फिल्म में 15 फीसद की हिस्सेदारी की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस एंटरटेनमेंट ने 2016 में ओलांद के भारत दौरे से पहले गाएट की कंपनी के साथ समझौता किया था।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अनिल अंबानी ने 1.48 मिलियन यूरो यानी की करीब (12,60,18,270) विसविरेस कैपिटल को पिछले साल दिसंबर में दिया था। वो भी फिल्म रिलीज़ होने से ठीक दो हफ़्तों पहले निवेश किया था।

इस मामले में अनिल अंबानी ने खुद फिल्म में पैसा नहीं लगाया है वो अपने करीबी दोस्त की कंपनी VisVires Capital में निवेश करते है और वो भी फिल्म के रिलीज़ होने से पहले 1.48 मिलियन यूरो लगा देते है।

उससे पहले अनिल अंबानी की कंपनी ने 24 जनवरी साल 2016 को फ़्रांस के राष्ट्रपति की पत्नी फिल्म में पैसा लगाने की घोषणा की। ठीक दो दिन बाद फ़्रांस के राष्ट्रपति भारत आते हैं और रिलायंस को राफेल डील 59000 करोड़ की हिस्सेदार बना लेते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने अगस्त में ही रिपोर्ट दी- 24 जनवरी, 2016 को रिलायंस एंटरटेनमेंट ने घोषणा की थी कि उसने जूली गाए की फर्म, रूग इंटरनेशनल के साथ एक फ्रेंच फिल्‍म बनाने का समझौता किया है।

दो दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओलांद ने नई दिल्‍ली में 36 रफाल एयरक्राफ्ट की खरीद के एमओयू पर साइन कर लेते है।

रिलायंस ने क्या कहा ?

रिलायंस ने इस मामले में बयान जारी करते हुए कहा कि रिलांयस ग्रुप और Visvires Capital ने फिल्‍मों के अलावा और भी कई सफल निवेश किए हैं।

VisVires Capital की स्‍थापना सिंगापुर में रहने वाले भारतीय मूल के फ्रेंच कारोबारी रवि विश्‍वनाथन ने की थी, जो अंबानी के पुराने दोस्‍त हैं।

कंपनी ने अपने बयान में कहा कि रिलायंस एंटरटेनमेंट ने जूली गाए या उनकी कंपनी रूग इंटरनेशनल के साथ कोई समझौता नहीं किया है, न ही रिलायंस एंटरटेनमेंट की ओर से nOmber One फिल्‍म के संदर्भ में दोनों में किसी को कोई भुगतान किया गया है। फिल्‍म की घोषणा के समय उसका नाम nOmber One था, जो बाद में ‘Tout La-Haut’ नाम के साथ रिलीज हुई।

अब रिलायंस के बयान के बाद एक और बात सामने आती है कि पैसे लगाए मगर ये सिर्फ एक फिल्म के लिए था। फिल्म ‘Tout La-Haut’  की शूटिंग नेपाल और लद्दाख में होनी थी तो रिलायंस ने प्रोडक्शन सेवा देने के लिए करीब 3 लाख यूरो का भुगतान किया था।

क्या है विवाद?

राफेल एक लड़ाकू विमान है। इस विमान को भारत फ्रांस से खरीद रहा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है जबकि सरकार का कहना है कि यही सही कीमत है। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस डील में सरकार ने उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाया है।

बता दें, कि इस डील की शुरुआत यूपीए शासनकाल में हुई थी। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार में 12 दिसंबर, 2012 को 126 राफेल विमानों को 10।2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हज़ार करोड़ रुपये) में खरीदने का फैसला लिया गया था। इस डील में एक विमान की कीमत 526 करोड़ थी।

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