आठ मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज आठ मार्च है तमाम देशों की तरह भारत भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है। ट्विटर पर सुबह से ही #internationalWomensDay2018 टॉप ट्रेंडिंग है।

क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस?

हिंदुस्तान में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, 1910 में clara zetkin (जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की महिला ऑफिस की लीडर) नामक महिला ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार रखा, उन्होंने सुझाव दिया की महिलाओ को अपनी मांगो को आगे बढ़ने के लिए हर देश में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाना चाहिए।

एक कांफ्रेंस में 17 देशो की 100 से ज्यादा महिलाओं ने इस सुझाव पर सहमती जताई और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना हुई, इस समय इसका प्रमुख उद्देश्य महिलाओं को वोट का अधिकार दिलवाना था। 19 मार्च 1911 को पहली बार आस्ट्रिया डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 1913 में इसे ट्रांसफर कर 8 मार्च कर दिया गया और तब से इसे हर साल इसी दिन मनाया जाता है।

अब बात भारत में महिलाओं की स्थिति की। भारत में लोकतंत्र है, यहां जनता अपने प्रतिनिधि को चुनकर सदन में भेजती है। आज भारत में महिलाओं की जो भी स्थिति है उसका जिम्मेदार नेताओं को माना जाना चाहिए। जिन नेताओं ने आज तक महिला आरक्षण विधयेक पास नहीं किया वो महिलाओं का क्या कल्यान करेंगे?

हां, लेकिन भारतीय राजनेताओं की महिला विरोधी इतिहास जरूर रहा है। कई ऐसे बयान है जो नेताओं की महिला विरोधी मानसिकता को दर्शाता हैं।

गिरिराज सिंह- भाजपा के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने 2015 में सोनिया गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सोनिया गांधी अपने गोरे रंग की वजह से कांग्रेस अध्यक्ष बनी हैं। उन्होंने कहा था कि ‘अगर राजीव गांधी ने किसी नाइजीरियाई महिला से शादी की होती, जो गोरी चमड़ी वाली नहीं होती, तो क्या कांग्रेस पार्टी उनके नेतृत्व में काम करती?’

सुब्रमण्यम स्वामी- कथित ज्ञानी सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रियंका गांधी को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी की बेटी ‘प्रियंका गांधी अगर बनारस से चुनाव लड़ती तो वह बुरी तरह से हार जाती क्यों कि वह बहुत शराब पीती हैं, और उनका नाम खराब है।

दिग्विजय सिंह- मध्य प्रदेश में एक रैली में दौरान दिग्विजय ने जुलाई 2013 में मंदसौर की तत्कालीन महिला सांसद मीनाक्षी नटराजन को 100 टका टंच माल कह दिया था।

मुलायम सिंह यादव- उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मुरादाबाद में एक रैली को संबोधित करते बलात्कार विरोधी क़ानून को गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि “जब लड़के और लड़कियों में कोई विवाद होता है तो लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा बलात्कार किया। इसके बाद बेचारे लड़के को फांसी की सज़ा सुना दी जाती है। बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा अनुचित है। लड़कों से गलती हो जाती है।”

मोहन भागवत- मोहन भागवत राजनेता नहीं है लेकिन भारतीय राजनीति को प्रभावित करते हैं। भारत में बलात्कार बढ़ने को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, “बलात्कार पाश्चात्य सभ्यता का दुष्प्रभाव है और इसीलिए शहरी इलाकों में ज़्यादा होता है। हमारे गांव जहां राष्ट्रीय भावना प्रबल होती है वहां बलात्कार नहीं होते हैं।”

साक्षी महाराज- मेरठ में एक रैली को संबोधित करते हुए भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा था, ”हिंदुत्व की रक्षा के लिए हर हिंदु महिला को कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए।”

जवाहर यादव- हरियाणा चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल खट्टर के पूर्व ओएसडी जवाहर यादव के उस बयान की देश भर में आलोचना हुई थी जिसमे उन्होंने जेएनयू में नारेबाज़ी करने वाली छात्राओं को तवायफ से भी खराब बताया। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा था कि जेएनयू में लड़कियां जो देशद्रोही नारेबाज़ी कर रही थीं उनके लिए सिर्फ यही कहूंगा कि तुमसे अच्छी तवायफें होती हैं जो जिस्म बेचती हैं देश नहीं।

नरेंद्र मोदी- 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर पर परोक्ष हमला करते हुए कहा, ‘वाह क्या गर्लफ्रेंड हैं? आपने कभी देखा है 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड को?

नरेंद्र मोदी- राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान हँसती हुईं रेणुका को जब डपटते हुए रोकना चाहा, तब पीएम ने कहा, ”सभापति जी, मेरी आपसे प्रार्थना है कि रेणुका जी को कुछ मत कहिए। रामायण सीरियल के बाद ये हँसी सुनने का सौभाग्य आज मिला है।”

दयाशंकर सिंह- मऊ में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान दयाशंकर सिंह ने ये कह दिया कि ‘मायावती जी एक वेश्या से भी बदतर चरित्र’ की हो गई हैं।

शीला दीक्षित- दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री दीक्षित ने कहा था, “महिलाओं को ज़्यादा एडवेंचर्स नहीं होना चाहिए।”

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