जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य का जायज़ा लेने पहली बार विपक्षी नेताओं का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को श्रीनगर पहुंचा। जहां एयरपोर्ट पर ही प्रशासन ने प्रतिनिधिमंडल के सभी नेताओं को रोक दिया। जिसके बाद विपक्षी नेताओं को दिल्ली वापस भेज दिया गया।

इस दौरान विपक्ष के नेताओं के दौरे को कवर करने के लिए एयरपोर्ट पर जुटे मीडियाकर्मियों के साथ भी सुरक्षाकर्मियों ने बदसलूकी की। मीडियाकर्मियों के साथ सुरक्षाकर्मियों ने धक्का-मुक्की की और उनके कैमरों को तोड़ दिया। जिन मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी की गई उनमें आजतक की रिपोर्टर मौसमी सिंह भी थीं।

प्रशासन द्वारा मीडियाकर्मियों के साथ हुई इस बदसलूकी की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि जिस चैनल की रिपोर्टर के साथ ये बदसलूकी की गई वो इसकी आलोचना करने के बजाए विपक्ष को घेरने में जुटा है।

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आजतक के एंकर रोहित सरदाना ने प्राइम डिबेट शो ‘दंगल’ में अपने चिर परिचित अंदाज़ में विपक्ष को बदनाम करने का एजेंडा चलाया। उन्होंने प्रशासन की ज़्यादती पर सवाल न उठाते हुए इस मामले में विपक्ष को दोषी ठहरा दिया।

उन्होंने ट्विटर पर अपने शो के प्रोमो को शेयर करते हुए लिखा, “सर्जिकल स्ट्राइक हुआ- सबूत दिखाओ! एयर स्ट्राइक हुआ- सबूत दिखाओ! अब कश्मीर में शांति के सबूत माँगने पहुँच गया विपक्ष? कश्मीर पर भी सबूत चाहिए?” 

बता दें कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में शांति व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार का दावा है कि कश्मीर में शांति है। हालांकि राज्य के मौजूदा हालात पर नज़र डालें तो कश्मीर के ज़्यादातर नेता नज़रबंद हैं और वहां धारा 144 लागू है। इसके साथ ही राज्य में इंटरनेट और मोबाइल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। ऐसे में शांति व्यवस्था को लेकर सवाल उठना लाज़मी है।

इन्हीं सवालों का जवाब देते हुए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी को हालात का जाएज़ा लेने का न्योता दिया था। लेकिन जब राहुल गांधी विपक्षी नेताओं के साथ आज जम्मू-कश्मीर पहुंचे तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया और उन्हें विपक्षी प्रतिनिधिमंडल के साथ जबरन वापस भेज दिया गया।

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जम्मू-कश्मीर प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद विपक्षियों के उन सवालों को और मज़बूती मिलती है, जो राज्य में शांति व्यवस्था को लेकर उठाए जा रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार पर जब भी सवाल उठते हैं तो मीडिया उसके लिए ढ़ाल बनकर सामने आ जाता है। वह सरकार को बचाने के लिए विपक्षियों को ही कटघरे में खड़ा कर देता है। आजतक ने भी ऐसा ही किया। सरकार के दावों के मद्देनज़र राज्य के हालात का जायज़ा लेने पहुंचे विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को ही चैनल ने दोषी बता दिया।

लेकिन सवाल ये है कि क्या लोकतंत्र में विपक्ष को सरकार के दावों पर सवाल खड़े करने का अधिकार नहीं? क्या सरकार से सवाल करना अब मीडिया की नज़र में देशद्रोह हो गया है? क्या मीडिया की नज़र में देश की परिभाषा राष्ट्र है, जिसपर सवाल नहीं किया जा सकता? अगर मीडिया सरकार और राष्ट्र के बीच का फर्क समझता है तो फिर उसे विपक्ष के सवालों से क्या आपत्ति है। क्या ये मीडिया द्वारा विपक्ष को बदनाम करने का एजेंडा नहीं है?

By: Asif Raza

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