देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार चाहे जितना पर्दा डाल ले लेकिन सच्चाई खुद-ब-खुद सामने आ रही है। कभी विपक्ष में रहते नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि, “ऐसा लगता है कि UPA सरकार और रूपए एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता में हैं की कौन ज़्यादा गिरेगा।” अब खुद 6 साल सरकार चलाने के बाद मोदी सरकार में डॉलर के मुकाबले रूपया 72.8 रुपये का हो गया है। इसे आप रिकॉर्ड कह लीजिए या रुपये की खस्ता हालत!

रुपये का ये अबतक का न्यूनतम स्तर है। शुक्रवार को रूपया 71.66 प्रति डॉलर बंद हुआ था। सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि देश में एम्प्लॉयमेंट सेक्टर से लेकर रुपये की गिरावट तक में हाहाकार मचा हुआ है, मगर मीडिया सत्ता की गुलामी कर रहा है। मीडिया 24/7 सिर्फ हिन्दू-मुसलमान, कश्मीर-पाकिस्तान करने में लगा है।

जब CM मोदी ने रुपए की गिरावट पर कहा था- ये सब ‘भ्रष्ट राजनीति’ की वजह से हो रहा है

अब शायद प्रधानमंत्री मोदी को रूपए की गिरती कीमत पर उतनी चिंता नहीं है। या फिर शायद उन्हें अब उतना देशप्रेम नहीं रहा जितना पहले था। तभी उन्होनें ना तो रूपए की गिरती कीमत पर कुछ ट्वीट किया और ना ही उसके हालात सुधारे।

इस अगस्त महीने में भारत का रूपए पूरे एशिया का “वर्स्ट-परफार्मिंग करंसी” बन गया। 22 अगस्त को आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते 21 दिनों में रूपए में 3.9% की गिरावट आयी है।

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देश में अलग-अलग सेक्टरों में लोगों की नौकरियां छीनी जा रही है। पार्ले-जी जैसी जानी-मानी कंपनियां ठप पड़ रही हैं, मिड-डे मील में बच्चों को खाने के बजाए नमक दिया जा रहा है, ऑटो-सेक्टर और कताई उद्योग बर्बाद हो रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी तो चिंता जताने के बजाए लोगों को ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के सपने दिखा रहे हैं।

क्या देश में बिगड़ती कानून व्यवस्था और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच अब अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी पड़ने लगी है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी अर्थव्यवस्था की रफ़्तार को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती की वजह से इस बात का संकेत मिल रहा है की आर्थिक गतिविधियां कमजोर हुई हैं।

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