चुनाव आयोग द्वारा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान करने के बाद से ही चुनावी गलियारों में हलचल मच गई है। भाजपा एक बार फिर सरकार बनाने का दावा कर रही है, तो वहीं सपा और बसपा अपनी सरकार बनाने की बात कर रहे हैं। इस बीच खबर आ रही है कि प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कुछ बड़े अधिकरियों को उनके पदों से हटाने की मांग की है।
सपा ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा को उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने वाले अधिकारियों को उनके वर्तमान पदों से तत्काल हटाने के संबंध में पत्र लिखा है। ये पत्र सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने लिखा है।
समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से कहा- इन अधिकारियों का हटाया जाए ये अधिकारी भाजपा कार्यकर्ता बनकर काम कर रहे हैं
अवनीश अवस्थी- उप मुख्य सचिव
नवनीत सहगल – अतिरिक्त मुख्य सचिव सूचना
प्रशांत कुमार – एडीजी ( लॉ इन ऑर्डर )
अमिताभ यश – एडीजी @samajwadiparty @ECISVEEP pic.twitter.com/ZykhoB0a82— Bolta Hindustan (@BoltaHindustan) January 9, 2022
समाजवादी पार्टी का आरोप है कि कुछ अधिकारी भाजपा कार्यकर्त्ता बनकर काम करते हैं। इन अधिकारीयों के रहते प्रदेश में ‘स्वतंत्र, निष्पक्ष, निर्भीक, प्रभाव मुक्त चुनाव’ संभव नहीं है। पत्र में उप मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, अतिरिक्त मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल, एडीजी (लॉ एण्ड ऑर्डर) प्रशांत कुमार और एडीजी अमिताभ यश का नाम है। सपा की मांग है कि इन सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से उनके वर्तमान पदों से हटाया जाए। उनके अनुसार इस कार्रवाई के बाद ही प्रदेश में निष्पक्ष, स्वतंत्र और भयमुक्त चुनाव संपन्न हो सकेगा।
सपा से पहले कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी उप मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को हटाने की मांग की थी। यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से ही अवनीश को गृह विभाग की ज़िम्मेदारी दी गई थी। हाथरस, लखीमपुर और उन्नाव की घटना के बाद से पुलिसिया कार्रवाई पर अधिक शंका जताई जाती रही है। इसके लिए अवनीश अवस्थी के साथ-साथ एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार पर भी सवाल उठते रहे हैं।
दो साल पहले यूपी सरकार ने अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कद बढ़ाते हुए उन्हें मौजूदा विभागों के साथ अपर मुख्य सचिव सूचना का अतिरिक्त प्रभार भी दिया था। वहीं कुछ महीने पहले सरकार ने अमिताभ यश को आईजी से एडीजी बनाया है।
विपक्षी दलों की दलील है कि सरकार अपने करीबी अधिकारीयों का इस्तेमाल कर पंचायत चुनाव की ही तरह विधानसभा चुनाव को भी प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है।