आम तौर पर यह देखने सुनने को मिल जाता है कि देश के किसी भी इलाके में जब भी कोई वीआईपी मूवमेंट होता है तो उस दौरान लोगों को अच्छी खासी असुविधा का सामना करना पड़ता है.

इस दौरान कई लोगों को विशेष तौर पर मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. कई बार तो इस दौरान मरीजों की जान भी चली जाती है.

उस दौरान कोई किसी की मदद नहीं करता. सब अपने प्रिय नेता के इंतजार और स्वागत की धुन में लगे रहते हैं.

इसे परंपरा की जगह कुप्रथा का नाम दिया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी लेकिन समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने कुछ ऐसा उदाहरण पेश किया है जिससे दूसरे राजनीतिक दलों को सबक लेने की जरुरत है.

यूपी में विधानसभा के चुनाव करीब हैं. ऐसे में सभी दल अपने अपने तरीके से जनता के बीच जाना शुरु कर चुके हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार साइकिल यात्रा के साथ जनता के बीच जा रहे हैं और अपनी बात रख रहे हैं.

अखिलेश यादव यूपी के सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं तो जाहिर तौर पर उनकी यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं और समर्थकों का बड़ा हुजूम होता है. ऐसी ही अखिलेश यादव की साइकिल यात्रा लोहिया पथ से गुजरने वाली थी.

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का बड़ा हुजूम लोहिया पथ पर एकत्रित था. इसी बीच एक कार का एक्सीडेंट हो जाता है. कार चलाने वाली एक महिला थी. महिला उतर कर देखती है तो पाती है कि कार का अगला हिस्सा टूट चुका है.

कार आगे जाने की स्थिति में नहीं है. वह मदद के लिए इधर उधर देखने लगती है. अति व्यस्ततम रुट पर सभी अपनी स्पीड से भागे जा रहे हैं. कोई किसी की मदद करने को तैयार नहीं है.

सब इस लाचार महिला को देखते हैं और आगे निकल जाते हैं. किसी की मदद का इंतजार रही इस महिला के लिए वहां मौजूद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता आगे आ जाते हैं. इन समाजवादी कार्यकर्ताओं ने पूरी मशक्कत के साथ उस महिला की मदद करते हैं और कार को साइड कराते हैं.

इसी के साथ एक दूसरी तस्वीर भी सामने आती है जिसमें एक एंबुलेंस सायरन बजाती हुई आती है.

रास्ते में जनसैलाब उमड़ा हुआ है लेकिन इस दौरान भी समाजवादी कार्यकर्ता तुरंत रास्ते से हटते ही नहीं बल्कि आगे आकर एंबुलेंस को यथाशीघ्र आगे बढ़ने का रास्ता देते हैं.

फोटोग्राफर चंद्रकांत शुक्ला चिंटू ने इन दोनों तस्वीरों को फेसबुक के जरिए साझा किया है और समाजवादी कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए लिखा है कि “जब भीड़ भाड़ से भरे रास्तों और वीआईपी मूवमेंट के दौरान कोई एक दूसरे का ख्याल नहीं रखता है, वैसे में समाजवादियों की इस तस्वीर को देखकर अच्छा लगा.”

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