हिन्दू उग्र संगठनों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारियों के बाद सामने आ रहे नए खुलासे देश में पैदा हो रहे नए खतरे की दस्तक दे रहे हैं।

indiascoops.com की खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दल (एटीएस) ने मंगलवार को विशेष अदालत में बताया है कि उसने दक्षिणपंथी हिन्दू संगठन सनातन संस्था से कथित तौर पर जुड़े जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया है वो कई जगहों पर बम धमाके करने वाले थे।

बता दें, कि अगस्त में ही एटीएस ने सनातन संस्था से कथित तौर पर जुड़े एक पदाधिकारी वैभव राउत और शरद कलास्कर समेत पांच लोगों को गिरफ़्तार किया है। वैभव रावत हिन्दू गौवंश रक्षा समिति का संस्थापक है। ये संगठन ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ शिव परिस्थान और सनातन संस्था से भी जुड़ा हुआ है।

एसआईटी अधिकारियों ने बताया है कि ये लोग पुणे में हर साल होने वाले म्यूजिक फेस्टिवल ‘सनबर्न’ में बम धमाका करने वाले थे। क्योंकि इनके मुताबिक वो हिन्दू विरोधी है।

अधिकारियों के मुताबिक, इसी तरह इन लोगों ने महाराष्ट्र में गणपति मण्डल और मुहर्रम के दौरान ‘माहिम दरगाह’ और ‘माउंट मेरी चर्च’ पर बम धमाके करने की रणनीति बनाई थी।

गौरतलब है कि कर्णाटक में अमोल काले नाम के जिस व्यक्ति को गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है उसने भी कर्णाटक एसआईटी को बताया है कि उनका महाराष्ट्र यूनिट राज्य में अलग-अलग जगहों पर बम धमाके करने वाला था। इसलिए इन सभी दक्षिणपंथियों के तार आपस में जोड़े जा रहे हैं।

इस से पहले महाराष्ट्र पुलिस ने बताया है कि गिरफ्तार कट्टरपंथी वैभव राउत और सुधानवा गोंधलेकर आने वाले 6-8 महीनों में 150 पिस्तौल, 100 बम और 3000 से अधिक गोलियों की खरीद करने वाले थे। इतनी बड़ी संख्या में असलहा की खरीद की बात सामने आने के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि इनका इरादा कितनी बड़ी वारदात को अंजाम देने का था?

ये लोग राज्य में ईद और गणपति विसर्जन के मौके पर 16 से 18 बमों की मदद से अलग अलग जगहों पर धमाके करने वाले थे। धमाकों के लिए थियेटर, सब्ज़ी बाज़ार और धार्मिक स्थलों को चुना गया था।

ये पहली बार नहीं है जब सनातन संस्था पर इस तरह के आरोप लगे हो। ये संगठन पहले भी विवादों में घिरा रहा है। इससे जुड़े लोगों की गिरफ़्तारी 2007 में घटित वाशी, ठाणे, पनवेल और 2009 में गोवा बम धमाके के लिए किया गया था।

सनातन संस्था का नाम नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे और गौरी लंकेश की हत्या से भी जुड़ा हैं। महाराष्ट्र पुलिस और सीबीआई जो इन केस का अनुसन्धान कर रही है, पूर्व में इसके संस्थापक जयंत बालाजी अठावले से पूछताछ की थी।

पिछले कुछ सालों से संस्था लगातार विवादों में है। इस संस्था को लेकर भारी बहस भी चली थी कि इसे आतंकी संगठन घोषित किया जाए या नहीं। इस संस्था को प्रतिबन्ध करने को लेकर भी विवाद की स्थिति बनी।

अप्रैल 2017 में महाराष्ट्र विधान परिषद को जानकारी देते हुए ये कहा गया था कि राज्य सरकार ने सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भी भेजा था। इस सब के बाद ये सवाल उठाना लाज़मी है कि अभी तक इस संस्था के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?

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