देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए उनके परिवार वाले दिल्ली में भूख हड़ताल कर रहे हैं। 1931 में आज ही के दिन अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया गया था। लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक आधिकारिक रुप से इन तीनों को शहीद का दर्जा नहीं दिया है।

इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “शहीदे आज़म भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को शहीद का दर्जा न दिया जाना सरकार की शर्मनाक मानसिकता को दर्शाता है, गोडसे की विचारधारा को मानने वालों का शहीदों के प्रति सम्मान नहीं।

शहीदे आज़म भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को शहीद का दर्जा न दिया जाना सरकार की शर्मनाक मानसिकता को दर्शाता है, गोडसे की विचारधारा को मनाने वालों का शहीदों के प्रति सम्मान नही।

— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) March 23, 2018


ग़ौरतलब है कि भगत सिंह और राजगुरु ने 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। असल में यह हत्या ग़लती से हुई क्योंकि वे एक ब्रिटिश पुलिस सुपरिन्टेंडेंट की हत्या करना चाहते थे।

भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन ने इस मामले पर मुकदमे के लिए एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन किया, जिसने तीनों को फांसी की सजा सुनाई। तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई।

आज़ादी के बाद से ही लगातार इन तीनों क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग की जाती रही है।  हालांकि दिसंबर, 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ऐसी एक याचिका को खारिज कर दिया था कि ‘वह इस बारे में ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकता।’

अब सुखदेव के परिवार ने इसकी मांग करते हुए दिल्ली में  अनिश्चितकालीन अनशन करने की घोषणा की है। सुखदेव के परिवार का कहना है कि जब तक इन तीनों को शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा हम भूख हड़ताल से नहीं हटेंगे। इस दौरान हमारे साथ भगत के परिवार के लोग भी शामिल होंगे।’

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