राफेल जेट की डील को लेकर केंद्र की मोदी सरकार घिरती जा रही है। एक तरफ जहाँ मोदी सरकार डील में घोटाला न होने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस डील में जांच करने के लिए सेन्ट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) को ख़त लिखा है।

राफेल एक लड़ाकू विमान है। इस विमान को भारत फ्रांस से खरीद रहा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है जबकि सरकार का कहना है कि यही सही कीमत है। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस डील में सरकार ने उद्योगपति अनिल अम्बानी को फायदा पहुँचाया है।

इस डील की शुरुआत यूपीए शासनकाल में हुई थी। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार में 12 दिसंबर, 2012 को 126 राफेल राफेल विमानों को 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हज़ार करोड़ रुपये) में खरीदने का फैसला लिया गया था। इस डील में एक विमान की कीमत 540 करोड़ थी।

इनमें से 18 विमान तैयार स्थिति में मिलने थे और 108 को भारत की सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), फ्रांस की कंपनी ‘डासौल्ट’ के साथ मिलकर बनाती। 2015 में मोदी सरकार ने इस डील को रद्द कर इसी जहाज़ को खरीदने के लिए नई डील की।

नई डील में एक विमान की कीमत लगभग 1640 करोड़ होगी और केवल 36 विमान ही खरीदें जाएंगें। नई डील में अब जहाज़ एचएएल की जगह उद्योगपति अनिल अम्बानी की कंपनी बनाएगी। साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर भी नहीं होगा जबकि पिछली डील में टेक्नोलॉजी भी ट्रान्सफर की जा रही थी।

संजय सिंह ने सीवीसी को ख़त लिखकर मांग की है कि घोटाले से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर जांच शुरू कराई जाए। अब देखना ये है कि जब इतने बड़े घोटाले को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ सबूत सामने आ रहे हैं तो क्या सीवीसी इसकी जांच करता है या नहीं?


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