राफेल डील में हुई गड़बड़ी पर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है। सरकार के तमाम दावों को ख़ारिज करते हुए फ़्रांस के राफेल डील पर फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने साफ़ कर दिया है कि राफेल लड़ाकू विमान को तैयार करने लिए उन्हें भारत सरकार ने रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था और दैसॉ एविएशन कंपनी के पास दूसरा विकल्प नहीं था।

इस मामले पर आप सांसद संजय सिंह ने जो राफेल डील पर संसद में सवाल उठाते रहें है। राफेल पर हुए नए खुलासे पर उन्होंने प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।

राफेल पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बड़ा खुलासा- मोदी ने HAL का नहीं सिर्फ रिलायंस का नाम दिया था

सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा- फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का बयान आने के बाद साफ़ हो गया है कि नरेंद्र मोदी जी ने अंबानी के साथ मिलकर राफ़ेल रक्षा सौदे में महाघोटाला किया है।

सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए, अनिल अंबानी को गिरफ़्तार कर पूरा सच देश के सामने लाया जाये।

फ़्रान्स के पूर्व राष्ट्रपति का बयान आने के बाद साफ़ हो गया है की नरेंद्र मोदी जी ने अम्बानी के साथ मिलकर राफ़ेल रक्षा सौदे में महाघोटाला किया है, PM को नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिये, अनिल अम्बानी को गिरफ़्तार कर पूरा सच देश के सामने लाया जाय। https://t.co/QFMpiITm1q

— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) September 21, 2018

 

गौरतलब हो कि फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू मोदी सरकार के दावों को ख़ारिज कर दिया है।

ओलांद ने कहा कि भारत की सरकार ने जिस सर्विस ग्रुप का नाम दिया, उससे दैसॉ ने बातचीत की। दैसॉ ने अनिल अंबानी से संपर्क किया।

फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के खुलासे से साबित हुआ- राफेल ‘घोटाला’ है और मोदी सरकार ने देश के साथ गद्दारी की है

हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। हमें जो विकल्प दिया गया हमने स्वीकार किया।

इससे पहले मोदी सरकार ने दावा करते हुए कहा था कि दैसॉ और रिलायंस के बीच समझौता एक कमर्शल पैक्ट था जो कि दो प्राइवेट फर्म के बीच हुआ। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।

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