देश के आर्थिक हालात भले ही दिनों-दिन बद से बदतर हो रहें हो। मगर बैंकों की कर्जदारों पर दरियादिली ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। एक आरटीआई के जवाब में ये बात सामने आई है कि एसबीआई (State Bank of India) ने 220 डिफाल्टरों के 76,600 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ कर दिया है।

दरअसल सीएनएन-न्यूज 18 की खबर अनुसार, एक आरटीआई में ये जानकारी मिली है कि बैंक ने अपने लोन को 100 करोड़ से अधिक और 500 करोड़ से अधिक कैटेगरी के दो ग्रुप में बांटा है। अब जो 220 कर्जदार अपना कर्जा नहीं  चुका पा रहें है। उन्हें इसी क्रम में बैंक की ओर से 100 करोड़ से अधिक लोन लेने वालों का कुल 2.75 लाख करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ यानी माफ़ कर दिया गया।

आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि साल 2019, 31 मार्च तक एसबीआई(SBI) ने 33 कर्जदारों से जिनपर 500 करोड़ या इससे अधिक लोन थे, से 37700 करोड़ रुपये वसूली नहीं कर पाई तो इस लोन को राइट ऑफ कर दिया है। इसके साथ ही बैंक ने 980 उधारकर्ताओं जिन्होंने 100 करोड़ से अधिक का लोन लिया था, को राइट ऑफ कर दिया है। बैड लोन को राइट ऑफ करने वाला एसबीआई एकमात्र बैंक नहीं है।

ऐसा नहीं कि इस श्रेणी में सिर्फ SBI ने ये ऐसा किया है। नीरव मोदी के कर्जों से नुकसान में चल रहा पंजाब नेशनल बैंक ने भी 94 उधारकर्ताओं के 27,024 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया था। पीएनबी ने 500 करोड़ रुपये से अधिक का लोन लेने वाले 12 बड़े डिफाल्टर्स का 9037 करोड़ रुपये का लोन भी राइट ऑफ किया।

आमतौर पर बैंक की तरफ से जो लोन वसूल नहीं किया जा सकता है उसे राइट ऑफ कर दिया जाता है। इसका उद्देश्य बैलेंसशीट को दुरुस्त करना होता है। हालांकि राइट ऑफ करने से लोन वसूली की प्रक्रिया रुकती नहीं है।

मगर विपक्ष के नेता इस आरटीआई पर मोदी सरकार (Modi Government) पर निशाना साध रहें है। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लव ने सोशल मीडिया पर इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने लिखा- सुप्रभात। एक बार फिर से बैंकों ने अपने borrowers के 2,750,000,000,000 (2 लाख 75 हज़ार करोड़) बट्टे खाते में डाले। इस बार भी Loan लेने वालों का नाम (जिनका loan बट्टे खाते में डाला है) गुप्त रखा गया है। उपरोक्त रक़म देश के, 3 माह के GST Collection के बराबर है।

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