एक बार फिर भारत के उच्चतम न्यायालय ने मीडिया के अधिकारों को सुरक्षित किया है। दरअसल 24 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट का कहना था कि मीडिया रिपोर्टिंग से सीबीआई की जांच प्रभावित हो रही है।
हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले से संबंधित रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। 18 सितंबर को रिपोर्ट पेश की गई और 20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।
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सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए मीडिया रिपोर्टिंग पर लगी पाबंदी को खत्म कर दिया है। अब मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की रिपोर्टिंग की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग पर ब्लैंकेट बैन नहीं लगाया जा सकता है।
हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइड लाइन तय की हैं जिसको ध्यान में रखते हुए रिपोर्टिंग करनी है। रेप, यौन शोषण मामले में पीड़िता की किसी भी तरह की फोटो या वीडियो उजागर नहीं होना करनी है। यहां तक की ब्लर करके भी नहीं दिखाना है। पीड़िता का कोई इंटरव्यू नहीं होगा। ये सभी एहतियात इसलिए बरतने हैं ताकी पीड़िता की पहचाना उजागर न हो।