आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार 2.0 द्वारा लाया गया द अनलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल (UAPA) बुधवार को वोटिंग के बाद लोकसभा में पास हो गया है। इस बिल के पक्ष में 287 जबकि विपक्ष में महज 8 वोट पड़े।
बिल के पक्ष मे बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें आतंक के खिलाफ कड़े कानून की जरूरत है। वहीं विपक्षी नेताओं ने इस बिल का विरोध करते हुए इसे संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया। दरअसल इस बिल के पास होने के बाद सुरक्षा और जांच एजेंसियों को अधिकार मिल जाएगा कि वह किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित कर सकते हैं, फिर चाहे उसका संबंध किसी आतंकी संगठन से हो या नहीं।
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ये बिल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को असीमित अधिकार देगा। अब तक के नियम के मुताबिक एक जांच अधिकारी को आतंकवाद से जुड़े किसी भी मामले में संपत्ति सीज करने के लिए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से अनुमति लेनी होती थी, लेकिन अब नए बिल के मुताबिक, आतंकवाद से जुड़े किसी मामले की जांच के लिए एनआईए महानिदेशक से अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं।
विपक्षी नेताओं का कहना है कि ये बिल साफ़ तौर पर असंवैधानिक है। कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा कि यह एक कमजोर और जल्दबाजी में पेश किया गया बिल है। थरुर ने कहा कि यदि कोई लोन-वोल्फ आतंकी है भी तो सरकार के पास उसे गिरफ्तार करने के लिए काफी पॉवर है। कई तरीकों से ऐसे लोगों को डील किया जा सकता है।
थरुर ने कहा कि यदि किसी को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किया जाता है तो उसे साल 2007 के यूएन ऑर्डर के तहत नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे में आपको किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के लिए UAPA बिल की क्या जरुरत है?
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कांग्रेस सांसद ने कहा कि इस कानून के गलत इस्तेमाल की आशंका बहुत ज्यादा है। साथ ही प्री-लेजिस्लेटिव कंसल्टेशन पॉलिसी, 2014 के तहत इस बिल को पेश करने से पहले सार्वजनिक चर्चा भी नहीं की गई।
थरुर ने इस बात का दावा भी किया कि इस बिल का पहले भी विरोध किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस बिल का विरोध कर चुके हैं। यह बिल भारत के संविधान के विरुद्ध है और इससे किसी व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों का हनन हो सकता है।