साल 2014 में आतंकी संगठन आइएसआइएस ने इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। उस क्षेत्र में रह रहे लोगों को बंधक बना लिया गया। इस दौरान वहां से 39 भारतीय के फंसे होने की खबर भी आयी थी।

मोदी सरकार ने वादा किया था कि वहां जो भी भारतीय फंसे हैं उन्हें सही सलामत वापस लाया जाएगा। लेकिन 20 मार्च को राज्यसभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि इराक में अगवा 39 भारतीय नागरिक मारे गए हैं। शवों को डीप पेनिट्रेशन रडार की मदद से खोजा गया। इन शवों को डीएनए जांच के लिए बगदाद भेजा गया।

सुषमा ने कहा, “27 जुलाई को राज्यसभा में चर्चा के दौरान मैंने कहा था कि जब तक कोई भी सबूत नहीं मिल जाता, मैं उनकी हत्‍या या मौत की घोषणा नहीं करूंगी। लेकिन आज वह समय आ गया है. हरजीत मसी की कहानी सच्ची नहीं थी।”

सुषमा ने राज्यसभा सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, “शवों के अवशेष को बगदाद भेजा गया, जहां उनके डीएनए सैंपल लिए गए और उन्हें पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में मौजूद उनके रिश्तेदारों के पास भेजा गया। कल हमें जानकारी मिली कि 38 शवों के डीएनए मैच कर गए हैं और 39वें व्यक्ति का डीएनए 70 फीसदी मैच किया है।”

मोसुल में भारतीयों की मौत पर दुख व्‍यक्‍त करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि, ‘प्रत्‍येक भारतीय नागरिक के लिए यह दुखद है बाकि मैं पूछना चाहूंगा कि सरकार ने इस जानकारी में इतनी देर क्‍यों लगाई, उन्‍हें बताना चाहिए था कि यह कैसे हुआ उनकी मौत कब हुई। साथ ही उन्‍होंने इनके परिजनों की उम्‍मीदों को जगाए रखा जो सही नहीं था।’

आम आदमी पार्टी की नेता अल्का लांबा ने कहा है कि ‘इराक में 39 लापता भारतीयों की मौत की खबर देने के साथ साथ देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी ने संसद में खड़े होकर मोदी सरकार की तारीफ़ की और केंद्रीय मंत्री VK सिंह के प्रयासों के लिये उनका धन्यवाद किया। क्योंकि सरकार के लिये 4 साल बाद ऐसे परिणाम लाना भी एक उपलब्धि है ?’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here