उत्तराखंड में भाजपा की सरकार आने के बाद राज्य के माहौल में ज़हर घुलना शुरू हो गया है। शुक्रवार को ही यहाँ सांप्रदायिक तनाव का मामला सामने आया है। एक दस वर्षीय हिंदू लड़की के रेप का फर्जी वीडियो वायरल होने पर दक्षिणपंथी संगठन और कुछ दुकानदारों ने राज्य के अगस्त्यमुनि में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों को आग के हवाले कर दिया।

वायरल वीडियो में अफवाह फैलाई गई कि टाउन में जिस लड़की का रेप किया गया उसका आरोपी मुस्लिम शख्स है। फर्जी वीडियो वायरल होने के बाद करीब 200 लोग शुक्रवार (6 अप्रैल) को अगस्त्यमुनि पुलिस स्टेशन के बाहर इकट्ठा हुए और कथित तौर पर वीडियो में नज़र आ रही लड़की के लिए इंसाफ की मांग की।

इसके साथ ही भीड़ ने मुस्लिमों 15 दुकानों को आग के हवाले कर दिया। इस घटना में टाउन के ही दुकानदार और एबीवीपी के सदस्यों के शामिल होने की बात कही गई है।

बर्बरता के बाद रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश ने एक अन्य वीडीयो सोशल मीडिया में शेयर किया, जिसमें बताया गया कि जो वीडियो वायरल हो रहा है वह फर्जी है। इस दौरान उन्होंने लिखा कि जो वायरल वीडियो में किसी का चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा है और ना ही वीडियो में नजर आ रहे युवकों और लड़की की पहचान की जा सकी है। यहां तक टाउन में बलात्कार का कोई केस भी दर्ज नहीं किया गया है।

वहीं टाउन के स्थानीय निवासी ने बताया कि यहां मुस्लिमों की छोटी सी आबादी निवास करती है। जो दुकानों जलाई गईं वह मुस्लिम दुकानदारों की हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘शुक्रवार की घटना से पहले टाउन में पहले कभी सांप्रदायिक हिंसा नहीं देखी गई। जो कुछ हुआ वह बहुत चौंकाने वाला है।’

ये एक पैटर्न की तरह है। पहले फर्ज़ी खबरें फैलाओं फिर उनके आधार पर कानून हाथ में लेकर विशेष समाज को आर्थिक तौर पर नुकसान पहुंचाओं। ये पैटर्न म्यांमार और श्रीलंका में मुस्लिम समाज के खिलाफ नज़र आता रहा है। लेकिन सवाल ये है कि ये करने की हिम्मत लोगों में कहा से आती है? क्या उन्हें ये भरोसा होता है कि सत्ता में बैठी सरकार उनपर कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

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