जया निगम 

‘इस देश की बहुसंख्यक जनता जो मोटर व्हीकल एक्ट के मनमाने दाम बढ़ाये जाने के बाद उसके तानाशाहीपूर्ण ढंग से लागू किये जाने से त्रस्त होकर जगह-जगह ट्रैफिक पुलिस वालों की लाठी खाकर भी जूता-चप्पल तान रही है, 20000-37000 के जुर्माने कटवाने के बाद बोचारगी या गुस्से से मीडिया वालों के सामने अपने दुखड़े रो-रो कर सुना रही है.

ये वही जनता है जो नोटबंदी लागू होने के समय इस बात से खुश थी कि हमारे भ्रष्ट बड़े बाबू और बन-ठन कर रोज़ मटकते हुए अपनी लखटकिया सैलरी उठाने जाने वाली मैडम जी भी हमारे साथ-साथ बैंकों और एटीएम की लाइन लगाने पर मजबूर हैं.

वे उस समय खुश थे कि अब, मोदीराज में कम से कम इतना तो हुआ है कि हमारी टैक्स की कमाई से जो ये सालों साल लड़का-लड़की लोग सब जेएनयू जैसी सरकारी यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई के नाम पर शराब, तंबाकू, गांजा और इसकबाजी करते फिर रहे थे उनके रात-दिन के परपंचों पर रोक लग रही है और हमको-आपको पता चल रहा है कि इन कालेजों में आखिर चल क्या रहा है.

ये वही बहुसंख्यक जनता जो है देशप्रेम के नाम पर कश्मीर के लाखों लोग लोगों को उनकी जमीन से बेदखल कर देना चाहती है, उनकी लड़कियां अपने घरों में उठा लाना चाहती है, मेट्रो और ट्रेनों में नियमों को कड़ाई से लागू होने के नाम पर होने वाले मानवाधिकार हनन के मामलों को जायज ठहराती है, अपने साथ वालों के पिटने से खुश होती है उनके ऊपर जुर्माना लगने पर कमेंट करने की अपनी बारी का इंतज़ार करती है और हर कोई इस बात से आनंद महसूस कर रहा है कि स्साला फलाना या ठिकाना तो मुझ से ज्यादा दुखी है, परेशान है, पुलिस और कोर्ट के चक्कर काट रहा है, ये सरकार सब को ठीक कर देगी.

हर कोई अपने बगल वाले की दुख-तकलीफों से कटा हुआ उसमें आनंद लेने की खुराक व्हाट्सएप संदेशों और टीवी चैनलों के पैकजों से पा रहा है. जनता का हर हिस्सा दूसरे हिस्से की कमीनगी, घटियापन और मक्कारी के लिये बेहद आश्वस्त होते हुए अपने दुखड़े को सिस्टम की सबसे ईमानदार, बेचारगी भरी कहानी मनवा दिये जाने को बेताब नज़र आता है.

जबकि सच ये दिखाई देता है कि सिस्टम से किसी भी रूप में जुड़ा हुआ आदमी, औरत यहां तक कि बच्चे तक उस अमानवीयता और मक्कारी ढोने के कारगर पुरजे बनते जा रहे हैं. जिसकी शुरुआत देश के सत्ताधारी तबके ने लगातार मुनाफे कमाते रहने की अपनी प्रवृत्ति के चलते शुरू की थी.

बहुत से लोग ठीक इसी वजह से चिदंबरम, महबूबा मुफ्ती और फारुक अब्दुल्ला की नज़रबंदी और गिरफ्तारियों को भी जैसी करनी-वैसी भरनी मान कर नेचुरल जस्टिस की बात करने लगते हैं.

इन सब के बीच सरकार लगातार समाधान-देशप्रेम-जनहित और सरकारी खजाने को भरने के नाम पर बारी-बारी देश के हर तबके पर टैक्स वसूली और नियमों की कड़ाई की चाबुक चलाते हुए बड़े कॉरपोरेटों और अपने सेवक नौकरशाहों के हित सुरक्षित करने के एजेंडे पर सधे-बंधे ढंग से कैटवॉक करती हई 2022 तक मोदी सरकार को विकास के नाम पर देश का हुलिया बदलने के इरादे में एकदम दृढ़ नज़र आ रही है.

औरतों, बच्चों, दलितों, अल्पसंख्यकों, एलजीबीटीक्यू समेत देश का गरीब सवर्ण मर्द तक इस सरकार के निशाने पर है, बौद्धिकों की जिस जमात को हटाने का काम अर्बन नक्सल के जुमले उछाल कर पिछले सत्र में सरकार ने अंजाम दिया है वो इस सत्र में विपक्षी पार्टियों के कद्दावर नेताओं के सलाखों के पीछे फेंकने तक बहुच गया है, नौकरशाही, ज्यूडिशयरी, मीडिया समेत बहुसंख्यक जनता मजे से रोज नया तमाशा देखती आ रही है.

इस दौरान उसने कभी ये ना सोचा कि बुद्धिजीवी नाम की फसल को नोचने के बाद सरकार की कमाई का जो सबसे बड़ा खेत है वो तो आप ही हैं.

अब बेरोजगारी के बावजूद अगर आप सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बजाय, हिंदू-मुस्लिम कट्टरपंथ के झंडे लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं तो सरकार के पास देश की माई-बाप होने का सबसे भरोसे वाला ऊंचा मजबूत झंडा है जिसे लहरा कर वो आपसे लगातार वसूली कर सकती है और आपको बचाने वाले कहां हैं? क्या अंबानी की शादी के जो भव्य वीडियो देख कर आप खुश हो रहे थे वो सेलिब्रिटी अभिनेता, अभिनेत्री, डांसर, कलाकार और खिलाड़ी आपके लिये सरकार से लड़ने आएंगे?

वो टीवी के एंकर और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के टीचर जो हर दिन आपको स्पेशल क्लास दे रहे थे उनको ढूंढ कर पूछिये कि आपके लिये लड़ने, सरकार तक आपकी बात पहुंचाने, लाठी मारने वाले पुलिसवालों के खिलाफ कोर्ट जाने और वहां अन्याय के पैरोकारों से जूझने में मदद करने के लिये उनमे से आपके साथ खड़ा होने वाला कौन है? तब आपको इस खेल के नियम समझ आएंगे कि अब तक सारी बाजियां एक-एक कर हारते हुए भी आप अपने ही हारने पर ताली बजाते हुए सुख ले रहे थे.

सरकार की नियत का कुछ ओर-छोर समझ में आ रहा है या वाकई परमाणु बम फटने के बाद सुधीर चौधरी के बताये नुस्खे आजमाने की तैयारी में है आप?………

  • ( ये लेख जया निगम की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

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