रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने केंद्र सरकार को 1 लाख 76 हज़ार करोड़ से ज्यादा का सरप्लस ट्रांसफर करने की घोषणा कर दी है। सरकार को आर्थिक मदद देने का फैसला RBI ने सोमवार को हुई RBI की बोर्ड मीटिंग में लिया।

बोर्ड ने सरकार को फंड जारी करने का फैसला RBI के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति की उस रिपोर्ट पर किया, जिसमें सरकार को केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि और इसके लाभांश का हस्तांतरण करने के संबंध में सिफारिश की गई है।

आरबीआई ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्रीय बोर्ड की बैठक में स्वीकार किए गए रिवाइज्ड इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के मुताबिक सरप्लस ट्रांसफर में साल 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये सरप्लस और 52,637 करोड़ अतिरिक्त प्रावधानों से आया पैसा शामिल है।

RBI के इस फैसले पर जहां विपक्षी नेता सवाल उठा रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर यूज़र्स इस मामले को लेकर सरकार का जमकर मज़ाक बना रहे हैं। यूज़र्स का कहना है कि जिस सरकार ने स्विस बैंक में जमा कालेधन को देश में वापस लाने का वादा किया था वो देश के बैंक रिज़र्व बैंक से ही पैसे निकाल रही है।

अरविंद शेष नाम के फेसबुक यूज़र ने लिखा, “बोला था कि स्विस बैंक से निकाल के लाएंगे! निकाल लिया रिजर्व बैंक से..!” 

बोला था कि स्विस बैंक से निकाल के लाएंगे!निकाल लिया रिजर्व बैंक से..!

Arvind Shesh ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಮಂಗಳವಾರ, ಆಗಸ್ಟ್ 27, 2019

वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने RBI द्वारा सरकार को फंड जारी किए जाने पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक से चोरी कर रही है। लेकिन, अब इससे कुछ नहीं होने वाला है। कांग्रेस का कहना है कि आर्थिक स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि सरकार को रिजर्व बैंक से पैसे लेने की जरूरत पड़ गई है।

बता दें कि इससे पहले इसी प्रस्ताव को लेकर मोदी सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच मतभेद हो चुके हैं। उस वक्त उर्जित पटेल ने सरकार के प्रस्ताव पर असहमति जताई थी। कथित तौर पर इन्हीं मतभेदों के चलते रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

हालांकि उर्जित पटेल ने इस बात से इनकार कर दिया था कि उन्होंने इस मतभेद के चलते इस्तीफा दिया। उर्जित पटेल दिसंबर 2018 में गतिरोध के बाद रिजर्व बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क के रिव्यू के लिए RBI और सरकार कमेटी गठित करने पर राज़ी हुए थे।

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