उन्नाव से एक महिला चलकर राजधानी लखनऊ आती है। वो बीजेपी नेता पर गंभीर आरोप लगाती है की उसके साथ बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके साथी मिलकर उसका बलात्कार किया है।
पीड़िता मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश करती है मगर उसे पुलिस समझा बुझाकर आत्मदाह करने की बचा लेती है।
उसी दिन शाम को पीड़िता के पिता को हिरासत में ले लिया जाता है फिर उस पिता की पुलिस हिरासत में अचानक मौत हो जाती है। इस मामले को मीडिया हाथों हाथ लेती है और 4 पुलिस वालों को ससपेंड कर दिया जाता है। FIR दर्ज होती है जिसमें मुख्य आरोपी बीजेपी विधायक का नाम गायब रहता है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस मामले पर योगी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर एक यूज़र लिखता है की जिस देश में जज लोया की हत्या हो सकती है वहाँ यूपी की उस निर्भया के पिता की हत्या होना कौन सी बड़ी बात है?
भले ही दोनों मामले अलग अलग हो मगर ये सहयोग ही जिस तरह से जज लोया की हत्या हुई उसके पीछे कई सवाल उठे कैसे जज लोया के सर में लगी चोट चुपाया गया। किस तरह से सुबूतों के साथ छेड़छाड़ हुई।
हालाकिं जज लोया का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है मगर सवाल वही की सत्ता में बैठे लोगों से टकराने का सिर्फ एक अंजाम होता है वो है मौत।