देशभर में मूर्ति तोड़ो अभियान चल रहा है। इस हिंसक अभियान की शुरूआत दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों ने त्रिपुरा से की। पांच मार्च को त्रिपुरा के बेलोनिया शहर के सेंटर ऑफ कॉलेज स्कॉयर में खड़ी लेनिन की प्रतिमा को जेसीबी मशीन से गिरा दिया गया।

प्रतिमा तोड़ने का जश्न मनाने वाले लोगों ने बीजेपी की टोपी पहनी हुई थी। बीजेपी के कई नेताओं ने लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने का समर्थन किया। इसके बाद से तो देशभर में मूर्ति तोड़ो अभियान आग की तरह फैल गया।

त्रिपुरा में लेनिन, तमिलनाडु में पेरियार, मेरठ में अंबेडकर, कलकत्ता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, केरल में गांधी की मूर्ति को तोड़ा गया। ये सिलसिला अब भी जारी है…

बीजेपी नेताओं ने लेनिन की मूर्ति को तोड़े जाने का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि किसी विदेशी नेता के लिए भारत में कोई जगह नहीं है? ये भी कहा गया वामपंथी भारत के दुशमन हैं और लेनिन वामपंथी नेता थें इसलिए उनकी मूर्ति को तोड़ा जाना सही है।

अगर वामपंथ से दिक्कत है तो डोकलाम में चीन को रोकना चाहिए, मूर्ति तोड़ने से देश का क्या भला होगा? खुद को कम्युनिस्ट कंट्री कहने वाला ‘चाइना’ डोकलाम में सड़क और हैलीपैड बना रहा है और दक्षिणपंथी लेनिन की मूर्ति तोड़कर वामपंथ से बदला ले रहे हैं।

सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि, देश में मूर्ति तोड़ने से कुछ नहीं होगा, अगर हिम्मत है तो चीन डोकलाम में जो हैलीपैड बना रहा है उसे तोड़ो

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