देश की आर्थिक स्थिति बेहद नाज़ुक है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर करीब 6 साल में सबसे कम होकर 5 फीसदी पर पहुंच गई है। एक साल में ही जीडीपी में 3 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन सरकार और उससे जुड़ी संस्थाएं अभी भी आर्थिक संकट की स्थिति से इनकार कर रही हैं।
ऐसे में भारतीय जनता पार्ट्री (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के बारे में बड़ा बयान दिया है। अंग्रेजी चैनल ब्लूमबर्ग क्विंट को दिए इन्टरव्यू में स्वामी ने मंदी पर बोलते हुए कहा कि, “अगर मोदी अगले छः महीने में अर्थव्यवस्था को नहीं संभालते हैं, तो राजनीतिक साख और लोकप्रियता गिर जाएगी और लोग उन्हें चुनौती देने शुरू कर देंगे।”
If Modi can’t revive the economy in the next six months, his political capital and popularity will erode and people will start to challenge him — Subramanian Swamy
pic.twitter.com/tI0d8zVNN8— Ravi Nair (@t_d_h_nair) September 7, 2019
उन्होंने कहा, “बेरोजगारी बढ़ रही है, कृषि सेक्टर बुरे दौर में है हाई इंटरेस्ट रेट के कारण सूक्ष्म और माध्यम उद्योग मुश्किल में हैं, बैंक घाटे में हैं।”
बीजेपी के इस दिग्गज अर्थशास्त्री नेता ने कहा कि, “मैं 2015 से ही अखबारों में लिखता रहा हूं कि हम सुस्ती की तरफ बढ़ रहे हैं और 2019 में हम गंभीर दिक्कतों का सामना करेंगे। ठीक यही हो रहा है। जो हो रहा है ऐसा कुछ भी नहीं है जो अचानक हुआ है। हर सेक्टर में नेगेटिव आकड़ें दिख रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग और कोर सेक्टर का बुरा हाल है। ग्रोथ रेट 2015 के बाद लगातार गिर रही है। ग्रोथ नहीं बढ़ रही, बेरोजगारी बढ़ रही है।”
गिरती अर्थव्यवस्था पर बोले सुब्रमण्यम स्वामी- इसके लिए अरुण जेटली की गलत नीतियां जिम्मेदार
कोर सेक्टर में बिजली, स्टील, रिफाइनरी प्रोडक्ट, क्रूड ऑयल, कोल, सीमेंट, नेचुरल गैस और फर्टिलाइजर सेक्टर शामिल हैं। सोमवार को आए नए पीएमआई आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि आठ कोर सेक्टर में से 5 में जबरदस्त गिरावट हुई है।
आर्थिक विकास दर में गिरावट के फैक्टर्स में ऑटो सेक्टर में आई मंदी को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। बता दें कि देश में ऑटो सेक्टर की प्रमुख कंपनियां इस वक्त मंदी की मार से परेशान हैं। मंदी के चलते मारूती, टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियों की कई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स बंद हो चुकी हैं। जिससे तकरीबन 10 लाख कर्मचारियों की नौकरी ख़तरे में आ गई है।