सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच कायम गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर के सवाल उठाने के बाद अब जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी मुख्य न्यायधीशको चिट्ठी है। कुरियन जोसेफ ने अपनी चिट्ठी में कॉलेजियम की सिफारिशों पर मोदी सरकार के रवैये पर भी नाराज़गी जताई है।

चिट्ठी में जस्टिस जोसेफ ने सीजीआई दीपक मिश्रा को लिखा है कि महीनों पहले की गई कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार कार्रवाई करने के बजाय चुपचाप फाइल दबाए बैठी है। अब समय आ गया है इस बाबत सुप्रीम कोर्ट सरकार से सवाल पूछे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की साख भी दांव पर लगी है।

जस्ट‍िस कुरियन जोसेफ ने इस लेटर में लिखा है, ‘कोलेजियम द्वारा एक जज और एक वरिष्ठ वकील को तरक्की देकर सर्वोच्च न्यायालय में लाने की सिफारिश को दबा कर बैठे रहने के सरकार के अभूतपूर्व कदम पर यदि कोर्ट ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।’

असल में जस्ट‍िस कुरियन कोलेजियम के फरवरी के उस निर्णय का हवाला दे रहे हैं जिसमें वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्ट‍िस के.एम. जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की गई है।

इस लेटर में काफी जोरदार शब्दों में अपील करते हुए जस्ट‍िस कुरियन जोसफे ने कहा है, ‘पहली बार इस अदालत के इतिहास में ऐसा हुआ है कि किसी सिफारिश पर तीन महीने बाद तक यह पता नहीं चल पा रहा है कि उसका क्या हुआ।’ उन्होंने मुख्य न्यायधीश से कहा कि इस मसले पर खुद संज्ञान लेते हुए सात वरिष्ठ जजों की बेंच के द्वारा सुनवाई की जाए।

मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा को 9 अप्रैल को लिखे इस पत्र की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के अन्य सभी 21 जज़ों को भी भेजी है।

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