जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने ये नोटिस केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जारी किया है। अब इस मामले की सुनवाई अदालत की संविधान पीठ अक्टूबर के पहले हफ्ते में करेगी।

इसके अलावा कोर्ट ने संचार माध्यमों में छूट देने को लेकर केन्द्र सरकार को हफ्तेभर में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए जाने के फैसले पर केंद्र ने आपत्ति जताई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि इस मामले में नोटिस जारी करने से दूसरे देश इसका फायदा उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इसका असर सरहद पार तक जाएगा।

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केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है और देश में इसपर जो कुछ भी हुआ है, उसे संयुक्त राष्ट्र में बताया गया है। कोर्ट ने इसपर कहा कि तो क्या इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट अपनी ड्यूटी नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि क्या करना है, हमने आदेश पारित कर दिया है और हम इसे बदलने नहीं वाले।

कोर्ट के इस फैसले के बाद अब देश के उन चैनलों पर सवाल उठ रहे हैं, जिन्होंने हाल ही में विपक्षी दलों के उन नेताओं को देशद्रोही बताने की कोशिश की थी, जो जम्मू-कश्मीर के हालात का जायज़ा लेने कश्मीर पहुंचे थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें वापस भेज दिया था।

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चैनलों ने पूछा कि आखिर विपक्षी नेता कश्मीर पर सबूत क्यों मांग रहे हैं? विपक्षी नेताओं की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए चैनलों ने पूछा था कि आखिर विपक्ष कश्मीर को लेकर सरकार से सवाल क्यों पूछ रहा है?

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है। ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या ये चैनल विपक्षी नेताओं की तरह ही सुप्रीम कोर्ट को भी देशद्रोही बताएंगे?

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