भीमा कोरेगाँव पर सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस ने विदाई से पहले अपनी छवि ख़राब की है।

इस मामले पर उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि इंसाफ को बांटा नहीं जा सकता, जेंडर जस्टिस और मानवाधिकार मामले में विपरीत रुख ठीक नहीं है।

दरअसल भीमा कोरेगाँव मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की मांग को ख़ारिज करते हुए पुणे पुलिस को इस मामले में आगे की जांच जारी रखने को कहा है। साथ ही पाँचों सामाजिक कार्यकर्ताओं की नज़रबंदी को बढ़ा दिया है।

इस पूरे मामले पर जो फैसला लिया गया वो बहुमत में नहीं था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपनी अलग राय रखते हुए पुणे पुलिस को फटकार लगाते हुए मीडिया ट्रायल भी न होने की नसीहत दी थी।

जस्टिस चंद्रचूड ने एसआईटी नियुक्त करने पर कहा कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए मगर फैसला माइनॉरिटी में होने के चलते यह केवल अकादमिक स्तर पर ही रह जायेगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने प्रेशर कुकर वाले बयान को दोहराते हुए कहा कि अलग राय लोकतंत्र के प्रेशर कुकर में सेफ्टी वॉल्व की तरह है। इसे पुलिस की कड़ी ताकत से बांधा नहीं जा सकता।

बता दें कि पाँचों सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें अर्बन नक्सल कहते हुए पुलिस ने नक्सलियों का साथ देने वाला बताया था और ये भी आरोप लगाया था की पाँचों सामाजिक कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे।

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