विवादित राफेल विमान समझौते पर अब मोदी सरकार घिरती जा रही है। अब देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इस पर सुनवाई करने का फैसला ले लिया है। इस डील को रद्द करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का ये रुख भाजपा के लिए चुनाव में महंगा पड़ सकता है। क्योंकि अब तक सिर्फ विपक्ष इस मुद्दे को उठा रहा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट का इसमें शामिल होने घोटाले आरोपों को आधार देता है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस पर अगले हफ्ते सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा की इस बारे में दलीलों पर गौर किया कि उनकी अर्जी तत्काल सुनवायी के लिए सूचीबद्ध की जाए।
शर्मा ने अपनी अर्जी में फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान सौदे में विसंगतियों का आरोप लगाया है और उस पर रोक की मांग की है। शर्मा की याचिका में राफेल सौदे को रद्द करने, कथित अनियमितताओं के कारण प्राथमिकी दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई के आदेश देने का अनुरोध न्यायालय से किया गया है।
क्या है विवाद
राफेल एक लड़ाकू विमान है। इस विमान को भारत फ्रांस से खरीद रहा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है जबकि सरकार का कहना है कि यही सही कीमत है। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस डील में सरकार ने उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाया है।
फ्रांस की मीडिया ने किया बड़ा खुलासा : ‘राफेल समझौते’ के दौरान PM मोदी के साथ फ्रांस में मौजूद थे अनिल अंबानी
बता दें, कि इस डील की शुरुआत यूपीए शासनकाल में हुई थी। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार में 12 दिसंबर, 2012 को 126 राफेल राफेल विमानों को 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हज़ार करोड़ रुपये) में खरीदने का फैसला लिया गया था। इस डील में एक विमान की कीमत 526 करोड़ थी।
इनमें से 18 विमान तैयार स्थिति में मिलने थे और 108 को भारत की सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), फ्रांस की कंपनी ‘डासौल्ट’ के साथ मिलकर बनाती। 2015 में मोदी सरकार ने इस डील को रद्द कर इसी जहाज़ को खरीदने के लिए 2016 में नई डील की।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई डील में एक विमान की कीमत लगभग 1670 करोड़ रुपये होगी और केवल 36 विमान ही खरीदें जाएंगें। नई डील में अब जहाज़ एचएएल की जगह उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी बनाएगी। साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर भी नहीं होगा जबकि पिछली डील में टेक्नोलॉजी भी ट्रान्सफर की जा रही थी।