भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत उत्तर भारत के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसा बयान दे दिया जिसपर विवाद हो गया है। विवाद इतना बढ़ चुका है कि सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में चर्चा का विषय बन चुका है।
दरअसल बिपिन रावत ने कहा कि ”AIUDF नामक एक पार्टी यदि आप उस पर नज़र डालें तो पाएंगे कि बीजेपी को उभरने में सालों लग गए जबकि वह बिलकुल कम समय में उभरी, AIUDF असम में तेज़ी से उभर रही है। यह दल मुस्लिमों के विकास के लिए 2005 में बना था, वर्तमान में लोकसभा में इसके 3 सांसद और असम विधानसभा में इसके 13 विधायक हैं”
सेना प्रमुख के इस बयान का कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने विरोध किया है। विरोधियों का कहना है कि सेना प्रमुख कल को कहेंगें की मंदिर मस्जिद मामले पर भी हम बहस करेंगे, तो क्या यह सही तरीका है? वह किसी भी देश की नीतियों से जुड़े मुद्दे और राजनीतिक मुद्दे पर कोई बयानबाज़ी नहीं कर सकते हैं। उनको ऐसे बयान देने की कोई ज़रूरत नहीं है।
कई बुद्धिजीवी सेना प्रमुख के बयान का विरोध कर रहे हैं लेकिन, 2000 के नोट में चिप ढूंढने वाली आज तक की एंकर श्वेता सिंह को सेना प्रमुख के बयान में कोई खराबी नजर नहीं आ रही है। श्वेता सिंह ने इंडियन आर्मी को टैग करते हुए ट्वीट किया है कि ‘सेना तो बहुत कुछ ऐसा करती है जो ‘उसका काम नहीं है’। ब्रिज बनाना, स्कूल चलाना, क़ानून व्यवस्था, राहत बचाव। तो आज ही क्यों कष्ट हुआ? #सेना_के_साथ #GenBipinRawat @adgpi’
जबकि आजादी के बाद से ही ये परम्परा रही है कि भारत के सभी सेनाओं को राजनीति से दूर रखा जाता है। भारतीय आर्मी का कोई भी सेना (जल, थल, वायू) कभी भी राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करता है।
हमारा लोकतंत्र और संविधान भी इसकी इजाज़त नहीं देता। सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करती रही है। लेकिन 2000 के नोट में चिप ढूंढने वाली एंकर श्वेता सिंह को ये कौन बताए?