उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव जानलेवा होता जा रहा है। हर रोज कहीं न कहीं शिक्षकों के मौत की खबरें आ रही हैं। चाहे इसे योगी सरकार की ज़िद कहें या चुनाव आयोग की, मगर कीमत चुकानी पड़ रही है शिक्षकों को।

खबर आ रही है कि बेसिक शिक्षा विभाग के सहायक अध्यापक की कोरोना से मौत हो गई जिन्हें चुनाव ट्रेनिंग के वक्त संक्रमण हुआ था।

दरअसल कल्याणपुर के सत्यम विहार निवासी नीरज गुप्ता बहराइच जिले के जरवल ब्लॉक में सहायक अध्यापक के तौर पर कार्यरत थे।

पंचायत चुनाव में जब उनकी ड्यूटी लगाई गई तो मजबूरन 11 अप्रैल को प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना पड़ा जहां वो कोरोना संक्रमित हो गए।

परिजनों की मानें तो उनकी ड्यूटी 29 अप्रैल को लगा दी गई थी हालांकि उन्होंने इसके लिए छुट्टी मांगी क्योंकि 25 मार्च को उनकी पत्नी महिमा गुप्ता का ऑपरेशन हुआ था क्योंकि 5 महीने की गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो गई थी।

इस वजह से पति पत्नी न सिर्फ परेशान रहते थे बल्कि इलाज को लेकर चिंतित रहते थे। चुनाव तारीख के दिन उनकी पत्नी का पीजीआई में अपॉइंटमेंट था इसलिए उन्होंने चुनाव ड्यूटी से अपना नाम कटवाने के लिए 9 अप्रैल को सीडीओ कार्यालय में आवेदन किया था हालांकि सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी उनका नाम नहीं कटा।

क्योंकि प्रशिक्षण के दौरान ही वह संक्रमित हो गए थे और उन्हें कोई सरकारी अस्पताल नहीं मिला तो प्राइवेट डॉक्टरों के जरिए उन्होंने इलाज कराना शुरू कर दिया। जब सरकारी अस्पताल में दिए गए सैंपल की जांच रिपोर्ट नहीं आई तो उन्होंने प्राइवेट लैब से कोरोना जांच करवाई।

तब तक उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी और सीटी स्कैन कराने पर निकला कि 80% फेफड़े संक्रमित हो चुके हैं।

फेफड़े के संक्रमण की रिपोर्ट आने के बाद जगह-जगह भटकने के बाद सिविल लाइंस के न्यू लीलामणि हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया गया, जहां हालत में सुधार नहीं हुआ तो आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया 30 अप्रैल को उनकी मृत्यु हो गई।

परिजनों का आरोप है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम की वजह से उनकी मौत हुई। क्योंकि वह परिवार में अकेले कमाने वाले थे तो परिवार के भरण-पोषण की मांग भी की है।

उनकी मौत के बाद शिक्षक समूह भी काफी आक्रोशित है और मांग कर रहा है कि मृतक की पत्नी को आश्रित कोटे से नौकरी दी जाए और परिवार को 50 लाख का मुआवजा दिया जाए।

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