बिहार के भागलपुर में एक दंगा 1989 में हुआ था। वो दंगा 1947 के बाद बिहार के इतिहास में सबसे बड़ा दंगा था। उस दंगे ने पुराने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को झकझोर कर रख दिया था।
2018 में भागलपुर एक और दंगे की जद में है। दरअसल गत शनिवार को भागलपुर के नाथनगर में हिन्दू नववर्ष की पूर्व संध्या एक बाइक जुलूस निकाला गया था। इस जुलूस का नेत्तृव कर रहे थें केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत। इस जुलूस में बीजेपी, आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ता शामिल थे।
अर्जित अपना जुलूस लेकर जैसी ही एक खास अल्पसंख्यक जाति के मोहल्ले में पहुंचा तो जुलूस में शामिल लोगों जय श्रीराम के नारे लगाना शुरू कर दिया। इसके बाद खास अल्पसंख्यक समुदाय ने भी प्रतिक्रिया दी। इसके बाद शुरू हुए तनाव में दर्जनों दुकानें जला दी गईं, और कई लोग घायल हो गए। उपद्रवियों ने 15 राउंड फायरिंग की और चार बम भी फोड़े।
अब इस मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत समेत आठ अन्य लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई है।
इस मामले में राजद नेता और बिहर के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया है कि ‘केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे ने तीन दिन पहले बिना अनुमति के जुलूस निकालकर भागलपुर में दंगा फैलाया।
लेकिन अभी तक उसकी कोई गिरफ़्तारी नहीं। नीतीश कुमार में हिम्मत नहीं, मुँह खोल सके भाजपाईयों के विरुद्ध। बोलो चाचा। गूँगे मत बनिए।’