पहले सरकार पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि वो आर्टिकल 370 खत्म करना चाह रही है और सरकार ने नकार दिया था। लेकिन कुछ दिन बाद उनके फैसले ने आरोपों को सही साबित कर दिया। अब विपक्षी दल कांग्रेस और RJD आरक्षण के मुद्दे को लेकर RSS और भाजपा पर हमलावर हैं। उनका आरोप है कि आरक्षण पर मोहन भागवत द्वारा बहस छेड़ना उसको खत्म करने का संकेत हो सकता है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी ने ट्वीट कर लिखा, “RSS का हौसला बढ़ा हुआ है और मंसूबे खतरनाक हैं। जिस समय भाजपा सरकार एक-एक करके जनपक्षधर कानूनों का गला घोंट रही है। RSS ने भी लगे हाथ आरक्षण पर बहस करने की बात उठा दी है। बहस तो शब्दों का बहाना है मगर RSS-BJP का असली निशाना सामाजिक न्याय है। लेकिन क्या आप ऐसा होने देंगे?”

RJD नेता तेजस्वी यादव भी इसपर लगातार ट्वीट कर रहे हैं. उन्होंने लिखा है कि, मोहन भागवत जी के बयान के बाद आपको यह साफ होना चाहिए कि क्यों हम आपको “संविधान बचाओ” और “बेरोज़गारी हटाओ, आरक्षण बढ़ाओ” के नारों के साथ आगाह कर रहे थे। ‘सौहार्दपूर्ण माहौल’ की नौटंकी में ये आपका आरक्षण छीन लेने की योजना में काफी आगे बढ़ चुके है। जागो,जगाओ और अधिकार बचाने की मशाल जलाओ

प्रियंका गांधी बोलीं- आरक्षण पर RSS के मंसूबे खतरनाक हैं, क्या आप इसे खत्म होने देंगे ?

“आरक्षण को लेकर RSS/BJP की मंशा ठीक नहीं है। बहस इस बात पर करिए कि इतने वर्षों बाद भी केंद्रीय नौकरियों में आरक्षित वर्गों के 80% पद ख़ाली क्यों है? उनका प्रतिनिधित्व सांकेतिक भी नहीं है। केंद्र में एक भी सचिव OBC/EBC क्यों नहीं है? कोई कुलपति SC/ST/OBC क्यों नहीं है? करिए बहस?”

दरअसल, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने दिल्ली के इवेंट में कहा कि आरक्षण पर बहस होनी चाहिए. उन्होनें कहा कि जो लोग आरक्षण के पक्ष और विपक्ष में हैं उन्हें उसपर बातचीत करनी चाहिए.

RSS ही नहीं चित्रा भी चाहती हैं आरक्षण की समीक्षा हो, क्या ये मीडिया में सवर्ण आरक्षण पर भी बोलेंगी ?

ध्यान देने वाली बात है की आर्टिकल 370 से जो लोग वाकई में प्रभावित थे उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला था. लेकिन मोहन भागवत के बयान पर RSS का कहना है की वो समाज में मुद्दों को बात-चीत के ज़रिए हल करने की सलाह दे रहे थे. RSS ने कहा है की वो आरक्षण विरोधी नहीं है.

इस सबके बीच कांग्रेस सवाल उठा रही है की क्या आरक्षण पर बात-चीत को बढ़ावा देने के पीछे कहीं उसको खत्म करने की मंशा तो नहीं है?

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