ये घटना 21वीं सदी के भारत की है। जब भारत मंगलग्रह पर पहुंच चुका है, प्लास्टिक मनी का उपयोग होने लगा है, इंडिया डिजिटल बन रहा है। भारत इतना आगे बढ़ चुका है कि घर से बर्तन की जगह बैंक से LOU और डेटा चोरी होने लगा है। लेकिन इस प्रगति का जातिवाद पर कोई असल नहीं पड़ा है। आज भी भारतीय समाज पर जातिवाद का पूरा दबदबा कायम है।

क्यों कायम है क्योंकि? क्योंकि सत्ता और शासन इसे कायम रखना चाहता है! अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में एक दलित लड़की की बारात को पुलिस-प्रशासन शांति के लिए खतरा बता रही है?

‘कासगंज जिले के निजामपुर गांव में पिछले सौ वर्षों से कथित परंपरा है कि कोई भी दलित दूल्हा घोड़ी पर गांव नहीं घूमेगा।’ फिलहाल गांव में पांच दलित परिवार हैं जबकि करीब 25 ठाकुर परिवार।

मीडिया रिपोर्ट में इस घृणित मनुवादी व्यवस्था को परंपरा लिखा जा रहा है और 100 साल पुराना बताया जा रहा है। अब सवाल उठता है कि इसका क्या प्रमाण है कि ये कथित घृणित परंपरा 100 पुराना है? हो सकता है 99 साल पुराना हो या 101 साल? या फिर ऐसी कोई परंपरा ही न हो?

सवाल उठता है कि दलित दूल्हा के घोड़ी पर चढ़ने से ठाकुरों को क्या दिक्कत हो सकती है? जबकी दुल्हा घोड़ी के किराए का पैसा खुद देगा, ठाकूरों से नहीं मांगेगा। और घोड़ी को भी दलित दूल्हा को अपने पीठ पर बैठाने में कोई परेशानी नहीं है, न ही घोड़ी के मालिक को कोई परेशानी है फिर ठाकूरों को क्या समस्या है?

कासगंज के निजामपुर गांव में जो दूल्हा बारात लेकर आने वाला है वो पेशे से वकील है। उसे अपने सारे अधिकार मालूम हैं। संजय नाम का ये वकील दूल्हा अड़ गया है कि वह अपनी शादी में घोड़ी चढ़कर पूरा निजामपुर गांव घूमेगा। और घूमे भी क्यों न? संविधान ने घोड़ी पर घूमने का जितना अधिकार ठाकुरों को दिया है उतना ही दलितों को।

आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करने वाले कथित उच्च जाति के लोग संजय के पक्ष में क्यों नहीं आ रहे? संजय आर्थिक रूप से संपन्न है फिर भी उसके साथ जातीय भेदभाद क्यों हो रहा है? जब भेदभाद आर्थिक नहीं जातीय है तो आरक्षण आर्थिक आधार पर क्यों मिले?

हाथरस के सिंकदराराऊ निवासी संजय की बारात 20 अप्रैल को निजामपुर गांव आएगी। संजय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज कर कहा था कि वह गांव में घोड़ी पर घूमना चाहता है। सीएम कार्यालय से आदेश आने के बाद डीएम और एसपी मौके पर गए। दोनों ही समाज के करीब 30 लोग पाबंद किए गए हैं। हिदायत दी गई है कि कोई बवाल नहीं होना चाहिए। अधिकारियों ने दूल्हे को पुलिस फोर्स मुहैया कराने का भरोसा भी दिया है। लेकिन लड़की पक्ष के लोग अभी डरे हुए हैं क्योंकि उनपर लगातार दबाव बनाया जा रहा है।

जातिवाद के घृणित मामले पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनिल यादव ने ट्वीट किया है कि ‘अगर यही काम यादवों ने किया होता तो नेता जी से लेकर अखिलेश यादव तक कटघरे में खड़े होते और बहन जी से समर्थन देने पर सवाल किए जाते। लेकिन अब कोई सवाल न होगा क्योंकि अब जातिवाद थोड़ी है, ये तो पुरानी व्यवस्था है जिसे लागू किया जा रहा है। #मनुवादी_व्यवस्था’

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