सेना के लिए साज़ोसामान का निर्माण करने वाली पुणे स्थित तीन बड़ी कंपनियों ने केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। इन कंपनियों के तकरीबन सात हज़ार कर्मचारी आर्डिनेंस बोर्ड (OFB) में मोदी सरकार के ‘कार्पोरेटाइजेशन’ के फैसले के ख़िलाफ़ देशव्यापी हड़ताल पर बैठ गए हैं।

सरकार के इस फ़ैसले से नाराज़ तीनो कंपनियों (खड़की की एम्यूनिशन फैक्ट्री, खड़की स्थित एक्सप्लोजिव फैक्ट्री और देहू रोड स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री) ने मंगलवार सुबह से ही अपना कामकाज रोक दिया है। इन तीनों कंपनियों के अलावा देशभर की 41 आर्डिनेंस फैक्ट्री भी सरकार के फैसले से नाख़ुश हैं। इन फैक्ट्रियों के करीब 82000 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। लेबर यूनियनों द्वारा आयोजित इस हड़ताल को कई अधिकारियों और संगठनों का समर्थन भी हासिल है।

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दरअसल सरकार आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड में निगमीकरण या पीएसयू व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। जिससे कर्मचारी डरे हुए हैं। कर्मचारियों का मानना है कि सरकार इसके ज़रिये ओएफबी का कार्पोरेटाइजेशन कर रही है। जिससे उनकी नौकरियां ख़तरे में आ सकती हैं।

हालांकि सरकार इसे सकारात्मक कदम बता रही है। सरकार का दावा है कि ऐसा करने से भविष्य में ओएफबी अन्य कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी। इसके साथ ही सेना को विश्व स्तरीय रक्षा साज़ोसामान हासिल होगा। लेकिन लेबर यूनियन्स सरकार के दावे से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखतीं। लेबर यूनियन्स का कहना है कि इससे जॉब गारंटी, सरकार का ओएफबी पर नियंत्रण प्रभावित होगा।

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इसी सिलसिले में मंगलवार को भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीएमपीएस) के प्रतिनिधियों ने रालेगण सिद्धी में समाजसेवी एवं आंदोलनकारी अन्ना हज़ारे से मुलाकात कर उनके सामने अपनी चिंताओं को रखा था। जिसके बाद अन्ना हज़ारे ने बीएमपीएस के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि वह इस दिशा में विचार कर ज़रूरी कदम उठाएंगे।

बता दें कि जिन तीन कंपनियों में मंगलवार से काम बंद है, वहां सेना के लिए एम्यूनिशन हथियार, मोर्टार बॉम्ब, डेटोनेटर्स, पॉवर कार्टिरिज्स, इगनाइटर्स और स्पोर्टिंग एम्मूयनिशन का निर्माण होता है। इसके साथ ही पृथ्वी और नवल जैसी मिसाइल में इस्तेमाल होने वाल लिक्विड फ्यूल का भी निर्माण किया जाता है।

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