मोदी सरकार के खिलाफ सरकार के ही 4 लाख कर्मचारी विरोध में आ गए हैं। ये कर्मचारी रक्षा क्षेत्र से हैं जो सरकार के निजीकरण की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा देने से सेना के लिए बनने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता कम होगी। साथ ही इस कदम से हज़ारों कर्मचारी बेरोज़गार भी हो जाएंगें।

न्यूज़क्लिक की खबर के अनुसार 4 लाख रक्षा नागरिक कर्मचारी 15 मई 2018 को हड़ताल करेंगें। ये एक आकर्षित हड़ताल होगी जिसमें एक घंटे काम बहिष्कार किया जाएगा। इस हड़ताल का निर्णय तीन मान्यता प्राप्त संघों अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी संघ (एआईडीईएफ), भारतीय राष्ट्रीय रक्षा श्रमिक संघ (इंडडब्ल्यूएफ), और भारतीय प्रत्याक्ष मज़दूर संघ (बीपीएमएस) ने लिया है।

राष्ट्रीय रक्षा पर खतरा

रक्षा कर्मचारी का कहना है कि हाल के वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कई निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। उनकी मांग हैं कि सरकार अपने पुराने वादे को पूरा करे जिसमें उन्होंने रक्षा के निजीकरण को वापस लेने का वादा किया था।

कर्मचारियों के चिंता के विषयों में से एक है सरकार द्वारा लगभग 250 वस्तुओं को “गैर-कोर उत्पाद” के रूप में घोषित करना। ये वस्तुएं अभी तक ऑर्डनेंस फैक्ट्री यानि सरकारी द्वारा बनाई जा रही थी। अब निजी क्षेत्र से इन वस्तुओं को खरीदा जाएगा।

कर्मचारियों के मुताबिक, जब भी “कम प्रौद्योगिकी” के नाम से बाहर से ऐसी वस्तुओं की खरीद की जाती है, खरीदी की गई वस्तुओं की अपर्याप्त आपूर्ति और खराब गुणवत्ता होती है।

सरकार ने गोको मॉडल के तहत, निजी क्षेत्र को आर्मी बेस वर्कशॉप (एबीडब्ल्यू) के संचालन को भी सौंपने का निर्णय लिया है।

सेना के अड्डे की इन वर्कशॉप में टैंक, सेना वाहन इंजन, छोटे हथियार, मोर्टारों, संचार प्रणालियों, रडार, ऑप्टिकल उपकरण, बिजली उपकरण, हवाई रक्षा हथियार प्रणालियों, सैनिक हथियार प्रणाली, बंदूक और विशेषज्ञ वाहनों मरम्मत आदि महत्वपूर्ण कार्य होते हैं।

वर्कशॉप दिल्ली, जबलपुर (मध्य प्रदेश), कांकीरा (पश्चिम बंगाल), इलाहाबाद (यूपी), मेरठ (यूपी), किर्कि, पुणे (महाराष्ट्र) और बेंगलुरु में स्थित हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि निजी कंपनियों को ऐसी राष्ट्रीय संपत्तियां सौंपने से सशस्त्र बलों के लिए बनाए जा रहे सामान की तैयारियों पर खाराब असर पड़ेगा। साथ ही इतनी संवेदनशील जगहों और वस्तुओं को निजी कंपनियों के हाथ में सौपने से सुरक्षा का खतरा भी पैदा होता है।

हज़ारों बेरोज़गार

सरकार ने सिली हुई वर्दी उपलब्ध कराने के बजाय सैनिकों को उसके समान भत्ते देने का आदेश जारी किया है। यह उत्पादक विरोधी है, और रक्षा कर्मचारियों के अनुसार इससे 2000 महिला कर्मचारियों सहित लगभग 10,000 कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है। ये लोग 5 ओईएफ (ऑर्डनेंस उपकरण फैक्टरी) में कार्यरत हैं।

साथ ही सरकार ने 14 स्टेशन कार्यशालाएं, 39 सैन्य फार्मों और चार डिपो बंद करने का भी निर्णय लिया है।

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