कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कल कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। जितिन प्रसाद कांग्रेस के वैसे नेताओं में हो गए थे जो लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक लगातार हारते जा रहे थे।

कभी केंद्र सरकार में मंत्री रहे जितिन अपनी ही सीट से मुख्य मुकाबले से बाहर हो गए थे।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वो तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे। यही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जितिन प्रसाद को बुरी तरह हारना पड़ा था।

कांग्रेस में वो बिना काम के रह गए थे। यही वजह रही कि उन्होंने अपनी राजनीति बचाने के लिए भाजपा का दामन थाम लिया।

दिलचस्प बात तो यह रही कि जितिन प्रसाद कांग्रेस से अलग अपना एक जातीय संगठन चलाते हैं जिसका नाम है ब्राह्मण चेतना परिषद।

इस संगठन के माध्यम से वो लगातार यूपी की योगी सरकार में ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचारो के खिलाफ आवाज बुलंद करते थे। जिस पार्टी की सरकार का वो लगातार विरोध करते रहें, अब उसी में शामिल होने के बाद से उनके संगठन में बेहद आक्रोश का माहौल है।

माना जा रहा है कि जितिन के इस कदम के बाद से ब्राह्मण चेतना परिषद में दो फाड़ हो सकता है। जितिन के भाजपा में शामिल होते ही उन्नाव ईकाई के अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने संगठन से इस्तीफा दे दिया है।

जिलाध्यक्ष कमलेश तिवारी ने अपने इस्तीफे की चिट्ठी में लिखा है कि जिस प्रकार से जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण विरोधी पार्टी भाजपा का दामन थामा है, उससे हम जैसे कार्यकर्ता न सिर्फ दुखी बल्कि खुद को अपमानित भी महसूस कर रहे हैं।

तिवारी ने कहा कि ब्राह्मण चेतना परिषद का गठन ही यूपी की मौजूदा भाजपा सरकार के ब्राह्मण विरोधी कार्यों को देखकर हुआ था.।

इस संगठन का उद्देश्य था, सताए हुए ब्राह्मणों को उनका अधिकार दिलाना और अब हम उसी घर के सदस्य बन रहे हैं।

कमलेश तिवारी ने कहा कि आप वैसे घर का सदस्य बन गए हैं जहां ब्राह्मणों की कोई पूछ नहीं है. यह सिर्फ मेरा नहीं बल्कि समस्त ब्राह्मणों का अपमान है। अत: मैं तत्काल प्रभाव से अपने जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।

माना जा रहा है कि कमलेश तिवारी के इस्तीफे के बाद इस संगठन में बड़ी टूट होने जा रही है और आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण पदाधिकारी अपने पद से त्यागपत्र दे सकते हैं।

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