सर्दी के मौसम के बीच उत्तर प्रदेश का सियासी तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। भाजपा से दर्जनों मंत्री और विधायक पार्टी छोड़ सपा में शामिल हो रहे हैं। ऐसे ही एक नेता हैं शिकोहाबाद से भाजपा विधायक मुकेश वर्मा। समाजवादी पार्टी में शामिल होने से पहले मुकेश वर्मा ने भाजपा पर एक गंभीर आरोप लगाया है।

समाचार एजेंसी एनएनआई से बात करते हुए वर्मा ने कहा है, “भाजपा संविधान को बर्बाद करना चाहती है। जो पढ़े-लिखे लोग तेज़ और चालक हैं, वो जानबूझकर देश के संविधान को बर्बाद कर रहे हैं।”

गुरुवार को भाजपा से इस्तीफा देते हुए मुकेश वर्मा ने ट्ववीट किया था कि, भाजपा सरकार द्वारा 5 वर्ष के कार्यकाल में दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जो नहीं दी गई व दलित, पिछड़ों किसानों व बेरोजगारों की उपेक्षा की गई। इसके कारण मैं भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूँ।

वर्मा ने बड़े समर्थन का दावा करते हुए कहा था- ‘हमारे साथ 100 विधायक हैं और भाजपा को रोज इंजेक्शन लगेगा।’ उन्होंने कहा कि बीजेपी अगड़ों की पार्टी है और वहां दलितों और पिछड़ों का सम्मान नहीं है। दावा किया कि पिछड़ों को टारगेट करके नौकरी नहीं लगने दी। वर्मा ने कहा ‘भाजपा दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ा विरोधी है।’

बता दें कि योगी सरकार के मंत्रिमंडल से कुल मिलकर तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है- श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या, आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी और वन मंत्री दारा सिंह चौहान। आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने तो सरकारी सुरक्षा और आवास तक वापस कर दिया है। सैनी स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी बताए जाते हैं। श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और वन पर्यावरण मंत्री दारा सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देते समय सरकार पर पिछड़ों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था।

औरैया से बिधूना विधायक विनय शाक्य, राज्य सरकार में आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी और लखीमपुर खीरी से विधायक बाला प्रसाद अवस्थी भी अपना इस्तीफा सौंपा चुके हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य से शुरू हुआ सिलसिला बढ़ते-बढ़ते कितना बड़ा हो जाएगा, ये तो वक़्त ही बताएगा। हालांकि एक बात तो साफ है कि पिछड़े समाज से आने वाले नेताओं की नाराजगी के चलते भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आंतरिक लड़ाई से जूझ रहे हैं। उनके खिलाफ उन्हीं के विधायक और मंत्री खड़े नज़र आ रहे हैं।

चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तारीखों का ऐलन करने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि बहुत से नेता दल बदलेंगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि 2022 में बदलाव होगा या एक बार फिर भाजपा सत्ता में आएगी। गौरतलब है कि यूपी में 403 विधानसभा सीट हैं। यहां 10 फरवरी से 7 चरणों में मतदान होना है। नतीजे 10 मार्च को आएंगे।

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