कठुआ और उन्नाव दुष्कर्म का मामला तूल पकड़ चुका है। देशभर में इन घटनाओं को लेकर बीजेपी सरकारों की जमकर किरकिरी हो रही है। इन घटनाओं के बाद बीजेपी के बड़े नेताओं की ख़ामोशी को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। विपक्ष से लेकर कई वरिष्ठ पत्रकारों और कलाकारों ने इन मामलों में बीजेपी सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं।
इन्हीं सवालों का जवाब देने के लिए बीजेपी की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने सफ़ाई देते हुए कहा कि पार्टी इन घटनाओं की पहले ही निंदा कर चुकी है और जांच के बाद दोषियों के ख़िलाफ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि उन्नाव गैंगरेप मामले में पीड़िता के बयान के बावजूद पार्टी आलाकमान अपने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता।
पहले तो आरोपी होने के बाद भी विधायक की गिरफ़्तारी नहीं होती और जब गिरफ़्तारी न होने को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार की किरकिरी होती है तो विधायक को गिरफ़्तार कर लिया जाता है। लेकिन पार्टी की ओर से विधायक पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
इसी तरह कठुआ गैंगरेप मामले में बीजेपी नेताओं द्वारा आरोपियों को बचाने की भरपूर कोशिश होती है। बीजेपी मंत्री आरोपियों को बचाने के लिए जुलूस तक निकालते हैं। पार्टी आलाकमान इन नेताओं के खिलाफ़ भी कोई कार्रवाई नहीं करता। बल्कि इसपर मीनाक्षी लेखी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सफ़ाई देती हैं कि हमारे नेताओं को गुमराह किया गया।
चलिए आपकी बात मान लेते हैं कि इन नेताओं को गुमराह किया गया। इस गुमराही की न तो आपने माफ़ी मांगी और न ही कठुआ गैंगरेप के आरोपियों को बचाने वाले आपके इन नेताओं ने माफी मांगी। आपने तो केस को हल्का करने के लिए इसकी तुलना असम रेप मामले से कर डाली।
ऐसे में अब यह सवाल उठना तो लाज़मी है कि बीजेपी आरोपियों को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है। आरोपी बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ पार्टी कार्रवाई कर उनकी सदस्यता क्यों रद्द नहीं की जा रही। पीड़ितों के साथ इंसाफ़ क्यों नहीं किया जा रहा? आपके पास इन सवालों के जवाब हों तो ज़रूर दीजिएगा।