साल 2014 लोकसभा चुनाव के वक्त जब चुनाव हुए तब बीजेपी ने इस चुनाव को धार्मिक रंग न देते हुए ‘सबका साथ सबका विकास’ के नाम पर चुनाव लड़ा। मगर जैसे सत्ता हाथ में आई देश ने भीड़तंत्र के द्वारा दादरी में अखलाक देखा। फिर बीजेपी ने बीफ खाने वालों को पाकिस्तान चले जाने की नसीहत दी।
पूरा देश जब नोटबंदी से जूझ रहा था, बढ़ती बेरोजगारी से लड़ रहा था। उसी वक़्त भीड़ तंत्र ने अपना आतंक मचाना शुरू किया। राजस्थान के अलवर में पहलू खान को गोरक्षकों ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला। फिर भी मीडिया ने इन मुद्दों नहीं बल्कि बीफ बैन पर चर्चा की। उत्तर प्रदेश में तो बीजेपी ने सरकार में आते ही सबसे पहला एक्शन भी गोमांस बेचने पर ही लगा दिया।
प्रदेश में करीब हजारों लोग इस बंदी के चलते सड़कों पर आ गए, इसके बाद चुनाव दर चुनाव बीजेपी का मुद्दा बदलता रहा गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी की भाषा का स्तर देश ने देखा जब उन्होंने देश के सबसे ईमानदार नेता पर गंभीर आरोप लगाये।
अब जबकि लोकसभा चुनाव करीब आ रहे है तो इन दिनों राम मदिर का मुद्दा चर्चा में है। जिंदगी जीने की कला सिखाने वाले श्री श्री रविशंकर ने राम मंदिर का मामला हल कराने के लिए मैदान में आ गए सरकार भी उनके साथ दिखाई दी मगर गड़बड़ी तब हुई जब उन्होंने राम मंदिर न बनाने देने की सूरत में गृह युद्ध होने जैसी धमकी दे दी, सरकार इस मामले में शांत रही बल्कि बचाव करते हुए नज़र आई।
प्रदेश में जगह जगह गौशालाए खोली जा रही है होना भी चाहिए मगर गोरखपुर में मासूम बच्चों की मौत के बाद बीआरडी अस्पताल में आज मौतों का सिलसिला जारी है। क्या सरकार का काम यही है?
केंद्र की मोदी सरकार से लेकर योगी सरकार के कामकाज पर नज़र डाले तो उनके बयान के सिवाए कुछ और नज़र नहीं आता क्योकिं प्रधानमंत्री कब्रिस्तान और शमशान जैसा बयान देते है तो एक प्रदेश का मुख्यमंत्री ये कहता हुए नज़र कि मैं हिन्दू हूँ और ईद नहीं मनाता।
सरकार ने रोजगारी के डेटा न पता चले इसलिए उस रिपोर्ट को ही बंद करवा दिया जो बेरोजगारी के आकड़े बताती थी। मगर बीजेपी आज भी देश में मंदिर-मस्जिद राम और अल्लाह के मुद्दे चुनाव लड़ रही है विकास का नारा कहीं पीछे छुट गया और सरकार इंसानों का भला करने की जगह पर गायों का भला कर रही है।