पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी के खिलाफ अब नए मामले सामने आ रहे हैं। सामने आ रहे ये नए मामले मोदी सरकार की सरकार भूमिका पर कई सवाल खड़े करते हैं।

बता दें, कि पीएनबी बैंक में 11,400 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी हैं। नीरव मोदी देश के सबसे बड़े उद्योगाती मुकेश अंबानी के रिश्तेदार हैं। मुकेश अंबानी को मोदी सरकार का करीबी माना जाता है।

हाल ही में स्विटज़रलैंड के दावोस शहर में हुए वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की बैठक में नीरव मोदी को भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ देखा गया था।

अंग्रेजी अखबार डीएनए की एक खबर के मुताबिक सरकार के पास 2015 में ही नीरव मोदी के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी की शिकायत गई थी लेकिन फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया।

2015 में फाइनेंसियल इंटेलिजेंस अथॉरिटी (एफआईयू) ने नीरव मोदी द्वारा वित्तीय अनियमितताओं मतलब वित्तीय नियम तोड़ने की रिपोर्ट सभी बैंकों को भेजी थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

एफआईयू वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आती है लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया। एफआईयू ने ये रिपोर्ट एक्सिस बैंक की उस रिपोर्ट के आधार पर भेजी थी जिसमें नीरव मोदी द्वारा विदेश से बैंक लेनदेन पर नियमों की गड़बड़ी का संदेह जताया था।

एफआईयू ने नीरव मोदी की दो कंपनियों स्टेलर डायमंड और सोलर एक्सपोर्ट के 500 बैंक लेनदेन में गड़बड़ी का संदेह जताया था। नीरव मोदी की कंपनियों के संबंध दिल्ली की कंपनी आवोनी ट्रेडर के साथ पाए गए थे। आवोनी ट्रेडर पर 1.5 लाख करोड़ रुपये के कथित गड़बड़ लेनदेन का आरोप है। उसके खिलाफ जांच भी चल रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here