प्रधानमंत्री मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव से अबतक लगातार कालेधन की बात करते आ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने नोटबंदी जैसा कदम भी उठाया। कहा यही गया कि इस कदम से नुकसान आम जनता को हुआ न कि उद्योगपतियों को। वहीं देश की बड़े-बड़े उद्योगपतियों पर कालाधन सफेद करने के आरोप हैं लेकिन सरकार कुछ करती नहीं नज़र आ रही है।

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के जवाब में बताया है कि सरकार ओवर इन्वोइसिन्ग में आरोपी कंपनियों के खिलाफ कारवाई करेगी। कंपनियों द्वारा आयात वस्तुओं की कीमत ज़्यादा दिखाकर अपने कालेधन को सफेद करने को ओवर इन्वोइसिन्ग कहते हैं।

इन आरोपी कंपनियों में मोदी सरकार के करीबी माने जाने वाले उद्योगपति अनिल अंबानी और गौतम अडानी की कंपनियों का भी नाम है।

वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में इन मामलों में आरोपी कंपनियों के नाम एक हलफनामे में बताए हैं। इस हलफनामे में गौतम अडानी की कंपनी अडानी ग्रुप, एस्सार और अनिल अम्बानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का नाम शामिल है।

हलफनामे के मुताबिक, इन कंपनियों पर बिजली उत्पादन के लिए कोयला आयत में ओवर इन्वोइसिन्ग कर हज़ारों करोड़ कालाधन देश से बाहर भेजने और सफेद करने का आरोप है। डायरेक्टर ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने 2014 में ही ये मामले दर्ज कर लिए थे।

सवाल ये उठता है कि 2014 से ही मोदी सरकार सत्ता में है फिर भी क्यों इन कंपनियों पर सख्त कारवाई नहीं की गई? बता दें, कि मोदी सरकार पर अनिल अम्बानी, मुकेश अम्बानी और प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाने वाले गौतम अडानी को फायदा पहुँचाने के आरोप लगते रहे हैं। राफेल विमान डील में भी सरकार पर अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाने का आरोप लगा है।

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