बिहार रामनवमी के जुलूस के बाद से दंगों की आग में जल रहा है। गुदरी बाजार स्थित मस्जिद के पास से बीते सोमवार को माता दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन को जा रही थी। तब किसी शरारती तत्व ने मूर्ति की ओर चप्‍पल फेंक दी। इसी के विरोध में मंगलवार सुबह सैकड़ों लोग मस्जिद के पास इकट्ठा हो गए।

फिर क्या समस्तीपुर देखते ही देखते जलने लगा उपद्रवियों ने मस्जिद पर भगवा झंडे लहरा दिए। इस वीडियो ने सिर्फ बिहार की नहीं पूरे दुनिया में बैठे लोग भारत की एकता को शक की नज़र से देखने लगे है।

घटना का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसमें एक युवक मस्जिद की मीनार पर चढ़कर भगवा झंडा लहराता दिख रहा है। वही दूसरी तरफ प्रशासन इस पूरी घटना के दौरान मूकदर्शक बना रहा। अब तब तनाव पैदा हो गए है उसके बाद फोर्स का इंतजाम किया गया है।

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब हिन्दुत्ववादी संगठनो भगवा झंडा लेकर कहीं चढ़ गए हो और नारे लगा रहे हो। इससे पहले उदयपुर में कोर्ट चौराहे पर उग्र प्रदर्शन करते हुए कुछ लोग कोर्ट के पीछे की बिल्डिंगों से छत पर चढ़े और कोर्ट के मुख्य द्वार पर भगवा झंडा फहराया।

जिस भवन का इस्तेमाल न्याय देने के लिए किया जाता रहा है वहां किसी विशेष धर्म का झंडा फहरा रहा गया। यहां पर भी पुलिस मूकदर्शक बनी रही थी। दोनों ही मामलों में पीएम मोदी शांत थे उन्होंने न ही अपने मन की बात कही और न ही किसी संसद में इस बात को लेकर एक कड़ा सन्देश दिया।

क्या प्रधानमंत्री मोदी की ये ख़ामोशी एक सोची समझी ख़ामोशी मान ली जानी चाहिए? क्या देश उस चौकीदार की भूमिका को भूल चूका जिसने सबका साथ साथ सबके विकास की बात कहीं थी न की एक धर्म को बदनाम करवाने के लिए सत्ता में आये थे।

कोर्ट परिसर हो या फिर धार्मिक स्थल कहीं पर भी किसी भी धर्म के लोगों का आतंक फैलाना लोकतंत्र को कमजोर करना है। प्रधानमंत्री मोदी की ये ख़ामोशी उन्हें सत्ता में तो बनाये रख सकती है मगर इससे लोकतंत्र जिस तरह से आये दिन तबाह किया जा रहा है इसकी ख़ामोशी शायद आने वाली पीढ़ियों को भुगतनी पड़ेगी।

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