महाराष्ट्र में किसानों ने जहां हजारों की संख्या में आकर सरकार को उसी का वादा याद कराये। जिसके बाद राज्य की बीजेपी सरकार एक्शन में आई। पैरों में छाले लिए महाराष्ट्र के किसान जब लाल झंडे लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पहुंचे तो ठीक उसी वक़्त देश के प्रधानसेवक फ़्रांस के राष्ट्रपति के साथ अपने संसदीय शहर में उन्हें गंगा की सैर कराने निकले हुए थे।

किसान सड़कों पर है अपने ऊपर बढ़ते साहूकारों के कर्ज परेशान होकर वो सरकार से स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने के लिए कह रहा है।

जिसकी सिफारिश है कि किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं।

इसके साथ सिफारिश ये भी कहती है महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं जिससे वो आर्थिक तौर पर मजबूत हो। वही कर्ज़ वसूली पर आयोग कहता है कर्ज की वसूली में राहत, प्राकृतिक आपदा या संकट से जूझ रहे इलाकों में ब्याज़ से राहत हालात सामान्य होने तक जारी रहे। साथ ही सरकार की मदद से किसानों को दिए जाने वाले कर्ज़ पर ब्याज़ दर कम करके चार फ़ीसदी किया जाए।

आयोग ने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का स्वामीनाथन आयोग ने सुझाव देते हुए कहा था कि उत्पादन की लागत तय करने के तीन तरीके हैं। स्वामीनाथन आयोग ने सिफारिश की है कि एमएसपी को तय करते समय कीटनाशकों, बीज और उर्वरक पर खर्च, परिवार के लोगों की मजदूरी और अन्य कारकों पर विचार किया जाना चाहिए।

लेकिन सरकार के उत्पादन लागत को तय करने के तरीके में केवल बीज की कीमत, उर्वरक और कीटनाशक को शामिल किया गया है। इससे किसानों की कोई सहायता नहीं होगी, यह बस एक बहाना है।

वही प्रधानमंत्री मोदी ने इन सभी बातों के लिए कितना चिंतित है। सोशल मीडिया पर बात पर ट्वीट करने वाले पीएम मोदी ने किसानों के साथ खड़े होना तो दूर की बात उन्होंने कई किलोमीटर का सफ़र तय करके किसानों के लिए एक शब्द तक ट्वीट नहीं लिखा।

महाराष्ट्र अकेला ऐसा प्रदेश जहां पिछले 20 सालों में 65 हज़ार से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर चुके है। मगर पीएम मोदी इन सभी बातों से बेफिक्र फ़्रांस के प्रेसिडेंट के साथ सैर पर निकले हुए उन्हें देखकर लगता तो कुछ ऐसे ही है कि किसानों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले, कृषि प्रधान देश का प्रधानमंत्री जब बेफिक्र देश विदेश घुमाता रहेगा।

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